नई दिल्लीः सहारा प्रमुख के निधन के बाद हजारों निवेशक चिंतित है कि उनके द्वारा निवेश किए गए पैसे अब वापस होंगे या नहीं। अब इस सवाल का जवाब खुद भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने गुरुवार को जानकारी दी कि सुब्रत राय के बाद भी सहारा का मामला पूंजी […]
नई दिल्लीः सहारा प्रमुख के निधन के बाद हजारों निवेशक चिंतित है कि उनके द्वारा निवेश किए गए पैसे अब वापस होंगे या नहीं। अब इस सवाल का जवाब खुद भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने गुरुवार को जानकारी दी कि सुब्रत राय के बाद भी सहारा का मामला पूंजी बाजार नियामक के समक्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सेबी के लिए यह मामला आचरण से जुड़ा है भले ही कोई व्यक्ति जीवित रहे या नहीं।
भारतीय प्रतिभूति विनियम बोर्ड की प्रमुख माधवी पुरी ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गई एक समिति आधार पर सभी कार्रवाई करते हैं। उन्होंने कहा कि जिसके पास सहारा में निवेश के सबूत थे उन्हें उनका पैसा मिल गया है। दूसरी तरफ सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन पर सेबी के खाते में पड़ी 25,000 करोड़ रुपए की धनराशि भी एक बार चर्चाओं में। बता दें कि सहारा समूह की कंपनियां कई विनियामक तथा कानूनी लड़ाईयों का कर रहे थे।
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियां सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (ओएफसीडी) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बांडों के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए पैसे को वापस करने का आदेश दिया था।
सेबी ने आदेश में कहा था कि दोनों कंपनियां ने उनके नियमों और विनियमों का उल्लघंन करके धन जुटाया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा और दोनों कपंनियों को निवेशकों को एकत्र धन 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने को कहा था। इसके बाद सहारा को निवेशकों को पैसा लौटाने के लिए सेबी के पास लगभग 24,000 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था। हालांकि सहारा समूह लगातार यह कहता रहा है कि उसने पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रुप से भुगतान कर दिया है।