नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ते वायू प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार (10 नवंबर) को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को खूब फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि हम पिछले 6 सालों से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं पर आज तक इसका समाधान नहीं निकला। […]
नई दिल्ली: दिल्ली में बढ़ते वायू प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार (10 नवंबर) को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को खूब फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि हम पिछले 6 सालों से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं पर आज तक इसका समाधान नहीं निकला। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वे अब समस्या का समाधान निकाले।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि आज (10 नवंबर) दिल्ली में बारिश हुई है, शायद ये लोगों की प्रार्थना सुन भगवान ने उनकी मदद की है। इसके लिए सरकार को थैंक्यू नहीं कहा जा सकता है।
दिल्ली में बढ़ते वायू प्रदूषण की वजह जब पंजाब में पराली जलाने को बताया गया, तब कोर्ट ने कहा कि पंजाब में धान की खेती के कारण वहां का भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। हम एक और रेगिस्तान नहीं देखना चाहते हैं। इसलिए अब पंजाब में धान की जगह किसी और फसल को प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी हो गया है।
वहीं ऑड-ईवन मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हाल के फैसलों पर लताड़ लगाई। कोर्ट ने कहा कि हमने पूछा था कि दूसरे राज्यों से दिल्ली में टैक्सी आने पर क्या कुछ समय के लिए रोक लगाई जा सकती है? तो आप कह रहे हैं कि आप टैक्सी के लिए भी ऑड-ईवन लागू करना चाहते हैं। इसके लिए आपको हमारे आदेश की क्या जरूरत है? आप (दिल्ली सरकार) अपना बोझ कोर्ट पर डालना चाहते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऑड-ईवन सिस्टम को कहा कि इससे वायू प्रदूषण पर मामूली असर पड़ता है। पर अगर आप तब भी ये करना चाहते हैं तो करिए। ताकि कल को आप यह न कहने लगें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से प्रदूषण नहीं घट रहा है। जबकि सच तो यह है कि लोग यहां भगवान भरोसे हैं। कभी हवा का बहना तो कभी बारिश उनकी मदद करती है। सरकार कुछ नहीं करती है उनके लिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि वो पराली जलाने के लिए किसे जिम्मेदार माने। पराली जलाने पर रोक पर जोर देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस दिशा में काम होना चाहिए। उसके लिए चाहे फसल का तरीका बदला जाए या फिर मशीनों के जरिए पराली का समाधान किया जाए। अभी मशीनें उपलब्ध होने के बावजूद भी उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है।