नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में मौजूदा समय में प्रदूषण का कहर छाया हुआ है। यहां पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में है। दिल्ली-एनसीआर सहित आस-पास के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार बना हुआ है। स्थिति को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण से निटपने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने […]
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में मौजूदा समय में प्रदूषण का कहर छाया हुआ है। यहां पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में है। दिल्ली-एनसीआर सहित आस-पास के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार बना हुआ है। स्थिति को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण से निटपने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने की योजना बनाई है। यह कृत्रिम वर्षा आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार की गई है।
सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। बुधवार की सुबह आनंद विहार, आरके पुरम, ओखला, शादीपुर, पंजाबी बाग और आईटीओ में एक्यूआई 400 से अधिक दर्ज किया गया।
दिल्ली में हवा पिछले कई दिनों से बेहद खराब है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से कृत्रिम बारिश कराने को लेकर चर्चा की है। जानकारी के मुताबिक, जल्द ही प्रस्ताव मिलने पर आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
आईआईटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश की टेक्नॉलजी डेवलप की है। बता दें कि संस्थान ने जून में ही इसका परीक्षण कर लिया था।
कृत्रिम वर्षा की तकनीक के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के साथ सरकारी अधिकारियों से भी जरुरी अनुमति मांग ली गई है। महानिदेशालय के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी के ऊपर एक विमान उड़ाने के लिए डीजीसीए के अलावा संस्थान को गृह मंत्रालय और विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) से भी अनुमति लेने की आवश्यकता है।
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कृत्रिम बारिश करना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसके लिए पहले कृत्रिम बादल बनाए जाते हैं। फिर विमानों के जरिए ऊपर पहुंचकर बादलों में सिल्वर आयोडाइड मिला दिया जाता है। इससे बादलों का पानी भारी हो जाता है और बरसात होने लगती है। कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल बर्फबारी बढ़ाने और वर्षा में वृद्धि करने के साथ-साथ कोहरा छांटने में भी होती है।