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SUPREME COURT : स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी पैड मामले की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट में टली

नई दिल्ली : स्कूलों में लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने और अलग बाथरूम सुनिश्चित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई टल गई। इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्कूली लड़कियों की मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की नीति का ड्राफ्ट तैयार […]

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SUPREME COURT : स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी पैड मामले की सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट में टली
  • November 6, 2023 6:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली : स्कूलों में लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने और अलग बाथरूम सुनिश्चित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई टल गई। इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्कूली लड़कियों की मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. केंद्र सरकार ने कहा कि तैयार नीति का ड्राफ्ट सभी हितधारकों को भेज दिया गया है और उनसे इस मामले में सुझाव मांगे गए हैं. सरकार ने सभी हितधारकों को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है, जिसके बाद ड्राफ्ट नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसका कार्यान्वयन शुरू होगा।

इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि अगली सुनवाई के दौरान सरकार इस मामले में आगे क्या हुआ है, क्या प्रगति हुई है इस बात की जानकारी कोर्ट को दे. वहीं इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो राज्यों साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों से बात कर ऐसी नीति को अपनाए, जिसे सभी स्कूलों में छात्राओं के लिए आसानी से लागू किया जा सके.

स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध करने की मांग

दरअसल, याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने देश के सभी सरकारी और आवासीय स्कूलों में कक्षा 6वीं से 12वीं तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए याचिका दायर की थी। इसके साथ ही जया ठाकुर ने महिलाओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था करने की भी मांग की. इसके लिए जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

जया ठाकुर समाजसेवी हैं जिन्होंने याचिका दायर की

जया ठाकुर ने अपनी याचिका में गरीब स्कूली छात्राओं का जिक्र करते हुए कहा कि गरीब परिवारों की 11 से 18 साल की लड़कियों को शिक्षा हासिल करने में तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शिक्षा तक पहुंच न होने के कारण इन लड़कियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालाँकि, संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा प्राप्त करना एक संवैधानिक अधिकार है।

आपको बता दें कि राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां महिलाओं के लिए मुफ्त सैनिटरी पैड की व्यवस्था है। राज्य सरकार ने उड़ान योजना के तहत वर्ष 2022 में इसकी शुरुआत की थी.

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