नई दिल्ली : कंपनियां भर्ती में अनुभव और दक्षता देखती हैं। अपनी सुविधा के हिसाब से कंपनियां नौकरी देने के लिए शर्तें भी तय करती हैं, लेकिन एक एयरलाइंस कंपनी ने लड़कियों को नौकरी देने के लिए ऐसी अजीब शर्तें रखीं कि पूरी दुनिया हैरान रह गई। लोगों का कहना है कि लड़कियों के लिए […]
नई दिल्ली : कंपनियां भर्ती में अनुभव और दक्षता देखती हैं। अपनी सुविधा के हिसाब से कंपनियां नौकरी देने के लिए शर्तें भी तय करती हैं, लेकिन एक एयरलाइंस कंपनी ने लड़कियों को नौकरी देने के लिए ऐसी अजीब शर्तें रखीं कि पूरी दुनिया हैरान रह गई। लोगों का कहना है कि लड़कियों के लिए ऐसी नौकरी करने से बेहतर है कि वे घर पर ही रहें. मामला कोर्ट तक भी पहुंच गया है. 2 लड़कियों ने कंपनी के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई होनी है. मामले में कंपनी की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
लॉस एंजिल्स टाइम्स और न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, हम बात कर रहे हैं अमेरिका की यूनाइटेड एयरलाइंस की, जिस पर लड़कियों को नौकरी पर रखने में भेदभाव करने का आरोप लगा है। दरअसल, कंपनी का कहना है कि एयरलाइंस में उन्हीं लड़कियों को नौकरी दी जाएगी जिनकी आंखें नीली होंगी। जो पतली और जवान होंगी . कंपनी की पहली पसंद नीली आंखों वाली लड़कियां होंगी। ऐसी शर्त रखकर कंपनी कार्य अनुभव और दक्षता को नजरअंदाज कर रही है। प्रोफेशनल और कॉलेज स्पोर्ट्स टीमों को सेवाएं देने वाली कंपनी ने चार्टर फ्लाइट्स में अटेंडेंट की नौकरी के लिए ये शर्तें रखीं।
न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, एयरलाइंस की दो फ्लाइट अटेंडेंट ने यह मुद्दा उठाया. उन्होंने 25 अक्टूबर को कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने याचिका में कहा कि उन्हें लॉस एंजिल्स डोजर्स बेसबॉल टीम के लिए चार्टर उड़ानों पर काम करने की अनुमति नहीं दी गई थी। कंपनी ने तर्क दिया कि खिलाड़ीऐसी अटेंडेंट पसंद करते हैं जो जवान, पतली, गोरी और नीली आंखों वाली हों । 50 वर्षीय डॉन टॉड और 44 वर्षीय डार्बी क्यूज़ादा ने आरोप लगाए हैं। दोनों ने कहा कि उन्होंने कंपनी को 15 साल दिए, लेकिन उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसलिए उन्होंने लॉस एंजिल्स काउंटी सुपीरियर कोर्ट में याचिका दायर की है, क्योंकि कंपनी अपने कर्मचारियों के साथ जाति, जन्म, स्थान, धर्म और उम्र के आधार पर भेदभाव करती है।
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