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‘चुनावी बॉन्ड’ योजना के खिलाफ 31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, बनाई गई 5 जजों की संविधान पीठ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ पार्टियों के राजनीतिक फाइनेंस के लिए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करेगी। बता दें कि चुनावी बॉन्ड योजना को 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया गया था। इसको राजनीतिक फाइनेंस में पारदर्शिता लाने की […]

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‘चुनावी बॉन्ड’ योजना के खिलाफ 31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, बनाई गई 5 जजों की संविधान पीठ
  • October 29, 2023 7:28 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ पार्टियों के राजनीतिक फाइनेंस के लिए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करेगी। बता दें कि चुनावी बॉन्ड योजना को 2 जनवरी 2018 को अधिसूचित किया गया था। इसको राजनीतिक फाइनेंस में पारदर्शिता लाने की कोशिश के तहत पार्टियों को नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था।

पांच न्यायाधीश करेंगे सुनवाई

योजना के प्रावधानों के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड भारत की नागरिकता रखने वाले व्यक्ति या भारत में स्थापित संस्थान द्वारा खरीदे जा सकते हैं। बता दें कि इसको कोई व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से भी खरीद सकता है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कांग्रेस नेता जया ठाकुर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा दायर चार याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है। बता दें कि पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को कहा था कि उठाये गए मुद्दों के महत्व के मद्देनजर और संविधान के अनुच्छेद 145(4) (सर्वोच्च न्यायालय के कामकाज से जुड़े नियमों) के आलोक में विषय को कम से कम पांच जजों की पीठ के समक्ष रखा जाएगा। बता दें कि कोर्ट ने 10 अक्टूबर को गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की दलीलों पर गौर किया था कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बॉन्ड योजना शुरू होने से पहले मामले पर निर्णय की जरूरत है।

लंबित हैं चार जनहित याचिकाएं

इस मामले पर चार जनहित याचिकाएं लंबित हैं। बता दें कि इनमें से एक याचिकाकर्ता ने मार्च में कहा था कि चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को अब तक 12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और इसकी दो-तिहाई राशि एक मुख्य राजनीतिक दल को गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने 21 मार्च को कहा था कि वह इस पर विचार करेगा कि एक स्वीकार्य निर्णय के लिए याचिकाओं को क्या संविधान पीठ के पास भेजा जा सकता है?

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