नई दिल्लीः गायक हरिहरन के बेटे करण हरिहरन अपने पिता की तरह गायक में करियर न बनाकर बतौर अभिनेता हिंदी फिल्म ‘प्यार है तो है’ के द्वारा हिंदी सिनेमा में कदम रख रहे हैं। त्रिकोणीय प्रेम पर आधारित इस फिल्म के जरिए पाणि कश्यप भी बतौर अभिनेत्री अपने कैरियर की शुरुआत कर रही हैं। नितिन […]
नई दिल्लीः गायक हरिहरन के बेटे करण हरिहरन अपने पिता की तरह गायक में करियर न बनाकर बतौर अभिनेता हिंदी फिल्म ‘प्यार है तो है’ के द्वारा हिंदी सिनेमा में कदम रख रहे हैं। त्रिकोणीय प्रेम पर आधारित इस फिल्म के जरिए पाणि कश्यप भी बतौर अभिनेत्री अपने कैरियर की शुरुआत कर रही हैं। नितिन मुकेश और उदित नारायण के बाद हरिहरन ने भी अपने बेटे को एक्टिंग में किस्मत आजमाने की इजाजत दी है। बतौर अभिनेता करण के अन्दर आत्मविश्वास भी है और वह नील और आदित्य से बेहतर कलाकार भी मालूम होते हैं, लेकिन अपनी पहली फिल्म के रूप में उन्होंने टीम सही चुनने का फैसला नहीं लिया है।
फिल्म ‘प्यार है तो है’ की कहानी अरमान और निम्मो की है। दोनों बचपन से बहुत ही करीबी दोस्त हैं। निम्मो हर बात अरमान को अरमान को बताती है। धीर-धीरे दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता कायम हो जाता है। अरमान के मन में निम्मो के प्रति प्रेम की भावनाएं विकसित होने लगती हैं, लेकिन अरमान कभी भी अपने दिल की बात निम्मो से नहीं कह पाता है। निम्मी अपने नए पड़ोसी विकास के प्यार में पड़ जाती है। लेकिन विकास का प्यार सिर्फ एक छलावा है। विकास उसे धोखा देता है, लेकिन निम्मो हर हाल में विकास से ही शादी करना चाहती है। इसी ताने बाने के साथ फिल्म की कहानी शुरू होती है।
आमतौर पर देखा गया है कि फिल्मों में डेब्यू के लिए प्रेम कहानी पर आधरित ही फिल्मों का चयन किया जाता है। इस फिल्म में प्रेम से ज्यादा दोस्ती के महत्व पर आधारित है। प्रेम की अपनी एक मर्यादा और सीमा होती है, लेकिन दोस्ती की कोई भी सीमा नहीं होती है। दोस्ती निभाने के लिए पीछे नहीं हटना चाहिए, इसी सोच के तहत अरमान, निम्मो की शादी विकास से करवा देता है। लेकिन ऐसी फिल्मों का कलाइमेक्स क्या होता है, ये सबको पता है, बस वहां तक का सफर निर्देशक कैसे पूरा करेगा, असल खेल इस तरह की प्रेम कहानियों का यही होता है।
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