नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रिका से लौटने के दौरान महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्रयास शुरू कर दिए थे. बता दें कि इसकी शुरूआत उन्होंने बिहार के चंपारण में आंदोलन से किया और बिहार का चंपारण ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ बनाया था. हालांकि केवल चंपारण ही बापू का कर्मक्षेत्र नहीं था […]
नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रिका से लौटने के दौरान महात्मा गांधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्रयास शुरू कर दिए थे. बता दें कि इसकी शुरूआत उन्होंने बिहार के चंपारण में आंदोलन से किया और बिहार का चंपारण ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ बनाया था. हालांकि केवल चंपारण ही बापू का कर्मक्षेत्र नहीं था बल्कि चंपारण आंदोलन के कुछ दिनों के बाद गांधी जी फिर बिहार के भागलपुर आए थे और सन 1934 में बिहार में आए भूकंप से भागलपुर ज्यादा प्रभावित था. साथ ही कांग्रेस द्वारा पीड़ितों के लिए राहत कार्य भी जारी किया था. इस राहत कार्य को देखने के लिए बापू भी सहरसा से बिहपुर होते हुए भागलपुर पहुंचे तक थे.
गांधी जी ने इस दौरान बिहार अग्रवाल महासभा के प्रांतीय सम्मेलन को भी संबोधित किया था और सम्मेलन में सेठ जमना लाल बजाज और बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला भी थे. जिन्हें बिहार में खादी के प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी. बता दें भागलपुर में आज भी चर्चित ‘शिव भवन’ में गांधी जी ने महिलाओं को संबोधित करते हुए पर्दा का त्याग करने की अपील की थी.
बता दें कि गांधी जी ने 5-5 रुपये लेकर लोगों को अपना ऑटोग्राफ दिया था और ऑटोग्राफ देने से मिलें पैसे को बापू ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए दे दी थी. हालांकि भागलपुर में गांधी जी दीप नारायण सिंह के घर पर रुके थे. बता दें कि जिस भवन में गांधी जी ठहरे हुए थे उसे बाद में दीप नारायण सिंह के अनुसार जिला न्यायाधीश का आवास बना दिया गया और ये भवन अपने विशिष्ट वास्तुकला और बनावट के कारण बिहार में अनूठा है. हालांकि इस भवन को ‘हेरिटेज बिल्डिंग’ की सूची में शामिल करने के लिए सरकार से बात भी चल रही है.