पटना. बिहार चुनाव में नीतीश कुमार और लालू यादव का महागठबंधन कम से कम 26 और सीटें जीतकर 204 सीटें लाता अगर मुलायम सिंह-पप्पू यादव का तीसरा मोर्चा, मायावती, शरद पवार और असदउद्दीन ओवैसी उसके खिलाफ नहीं उतरते. ऐसे में बीजेपी के 53 नहीं मात्र 27 विधायक ही जीत पाते.
मतगणना के आंकड़ों पर गौर करने से ये साफ-साफ जाहिर होता है कि सपा-जाप के तीसरे मोर्चे, बीएसपी, एनसीपी और ओवैसी की पार्टी ने कम से कम 26 सीटों पर इतने वोट काटे जितना वोट महागठबंधन को आ जाता तो उसके कैंडिडेट सीट निकाल लेते. इसका फायदा बीजेपी को मिला और वो 26 सीटें और निकाल ले गई.
बीजेपी को 26 सीटों पर जीत इन पार्टियों के कारण मिली
आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के कारण 4, बीएसपी के कारण 7, जन अधिकार पार्टी के कारण 2, एनसीपी के कारण 2, सीपीआई के कारण 2, सीपीआई माले के कारण 1 और बागी उम्मीदवारों के कारण 8 सीटें जीत ली. राजनीतिक माहौल और समीकरणों के हिसाब से ये वोट सामान्य रूप से महागठबंधन को जाते.
बिहार का चुनाव महागठबंधन और एनडीए के बीच बंटा था लेकिन 89 सीटों पर तीसरे नंबर के कैंडिडेट्स ने या तो जीते कैंडिडेट को फायदा पहुंचाया या पहले नंबर पर जा रहे कैंडिडेट को इतना नुकसान पहुंचाया कि वो हारकर दूसरे नंबर पर चला गया.