नई दिल्ली: मोदी सरकार ने लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देने के लिए ऐतिहासिक बिल पेश किया है. पिछले तीन दशक से इस बिल की चर्चा थी लेकिन ये आज हकीकत बनकर उभरा. माना जा रहा है कि आधी आबादी को एक तिहाई हिस्सेदारी देकर मोदी सरकार ने 2024 के लोकसभा […]
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देने के लिए ऐतिहासिक बिल पेश किया है. पिछले तीन दशक से इस बिल की चर्चा थी लेकिन ये आज हकीकत बनकर उभरा. माना जा रहा है कि आधी आबादी को एक तिहाई हिस्सेदारी देकर मोदी सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही बड़ा सियासी दांव चल दिया है. हालांकि ये बील भी अब ओबीसी और मुस्लिम महिला कोटा की शर्तों के बीच फंस गया है.
दरअसल भाजपा ने महिला आरक्षण विधेयक में SC और ST महिलाओं के लिए कोटा फिक्स कर दिया है लेकिन ओबीसी महिलाओं को आरक्षण नहीं मिला. इस बात का फायदा उठाते हुए कांग्रेस से लेकर, समाजवादी पार्टी, RJD, बसपा जदयू समेत तमाम दल मोदी सरकार को घेर रहे हैं. ओबीसी समाज की महिलाओं को भी इस बिल में अलग कोटा दिए जाने की मांग तेज है. विपक्ष से लेकर भाजपा के ओबीसी नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भार्ती तक ने इसपर अपनी नाराज़गी जता दी है. ऐसे में भाजपा का दांव कहीं उसपर ही उल्टा ना पड़ जाए.
लोकसभा में चर्चा के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस सांसद और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिल का तो समर्थन किया लेकिन इसके सामने अपनी ही कुछ शर्तें रख दिन. उन्होंने ओबीसी महिलाओं के लिए इस बिल में आरक्षण देने की मांग उठाई है. सोनिया गांधी ने कहा है कि पिछड़े तबके से आनी वाली महिलाओं को भी इस बिल में आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने आगे सरकार से मांग करते हुए कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम की सारी दिक्कतें दूर कर इसके जरिए महिलाओं के लिए आभार प्रकट करने का अहम समय है. एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के लिए कांग्रेस मांग करती है कि महिला कोटा बिल तुरंत लागू किया जाए.
दूसरी ओर महिला आरक्षण बिल की राह में पिछले तीन दशकों से जो दल बाधा बन रहे थे अचानक उनका मूड बदल गया है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का महिला आरक्षण बिल में संतुलन होना चाहिए. पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) महिलाओं को भी इस बिल में आरक्षण देना चाहिए.
वहीं ओबीसी महिलाओं को इस बिल में आरक्षण देने की मांग सपा सांसद डिंपल यादव ने भी उठाई. इसपर रामगोपाल यादव ने कहा कि हम समर्थन करेंगे लेकिन हमारी मांग ओबीसी महिलाओं को लेकर रही हैं जो उच्च जाति की पढ़ी-लिखी महिलाओं का सही तरीके से मुकाबला नहीं कर सकती हैं. जेडीयू के नेता नीतीश कुमार ने भी ऐसा ही रुख अपनाया है और पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के आरक्षण की मांग रखी.
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार के महिला आरक्षण बिल पर ओबीसी आरक्षण की मांग की थी. बसपा प्रमुख मायावती ने भी ओबीसी कोटा होने की बात कही थी. उन्होंने इसे नाइंसाफी तक करार दिया था. ऐसे में विपक्षी दलों की इस मांग से निपटना भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला है. बता दें, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव और लालू यादव ने भी पिछले एक दशक से इस बिल का केवल इसलिए विरोध किया क्योंकि इसमें ओबीसी वर्ग की भागीदारी नहीं है.
मंडल कमीशन लागू किए जाने बाद भाजपा को लेकर ओबीसी समुदाय में अधिक भूमिका नहीं रह गई है. यदि भाजपा इस समुदाय को आरक्षण देती है तो दूसरी पार्टियों को भी इसका लाभ मिलेगा जिन्होंने पहले ही इस बिल में शर्तें जोड़ दी थीं.