आरक्षण घटाने की नहीं, बढ़ाने की बात थी समीक्षा: मांझी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा है कि आरक्षण की समीक्षा पर उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया. मांझी ने कहा कि वो समीक्षा के जरिए आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 69 परसेंट करने की बात कर रहे थे जिसे बहुजनों ने कम करने या खत्म करने की तरह ले लिया.

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आरक्षण घटाने की नहीं, बढ़ाने की बात थी समीक्षा: मांझी

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  • November 10, 2015 4:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
पटना. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा है कि आरक्षण की समीक्षा पर उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया. मांझी ने कहा कि वो समीक्षा के जरिए आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 69 परसेंट करने की बात कर रहे थे जिसे बहुजनों ने आरक्षण कम करने या खत्म करने की तरह ले लिया.
 
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर मांझी ने लिखा है, “मेरे आरक्षण की समीक्षा वाले बयान को लेकर कुछ बहुजनों की शिकायत है. मेरा आशय आरक्षण के दायरे को कम या समाप्त करने से नहीं, बल्कि इसका दायरा बढ़ाने से था. जब मैं सीएम था तब तामिलनाडु की तर्ज पर बिहार में भी 69 परसेंट आरक्षण देने पर विचार कर रहा था.”
 
आबादी के अनुपात में आरक्षण का पक्षधर है HAM
 
मांझी ने आगे लिखा है, “बहुजनों को आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया गया है. और समय-समय पर कई जातियों को एससी, एसटी और ओबीसी में शामिल किया गया पर आरक्षण का दायरा नहीं बढ़ाया गया. जिससे पहले से उस वर्ग में शामिल लोग प्रभावित हुए. मेरे आरक्षण की समीक्षा की भावना यही है कि जब कई नई जातियों को आरक्षित वर्ग में शामिल किया गया है तो उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का दायरा भी बढ़ाया जाय, न कि कम या समाप्त कर दिया जाय.”
 
‘निजी क्षेत्र में भी आरक्षण हमारे घोषणा पत्र का हिस्सा था’
 
मांझी ने लिखा, “ही आरक्षण के बावजूद बहुजनों का समाजिक और शैक्षणिक विकास क्यों नही हो पा रहा है, इस दिशा में और क्या करने की आवश्यकता है, इस संदर्भ में भी मैंने आरक्षण की समीक्षा की बात की है. हमने तो अपने चुनावी घोषणा-पत्र में बहुजनों को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण देने की बात को शामिल किया. मेरे आरक्षण की समीक्षा वाले बयान को लेकर जो भ्रांतियां है, उसे दूर करने का प्रयास किया हूं. आशा है आप मेरी भावनाओं को समझेंगे.
 
 

मेरे आरक्षण की समीक्षा वाले बयान को लेकर कुछ बहुजनों की शिकायत है। मेरा आशय आरक्षण के दायरे को कम या समाप्त करने से नहीं…

Posted by Jitan Ram Manjhi on Tuesday, November 10, 2015

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