छत्तीसगढ़ में प्रशासन के संवेदनहीनता की हद देखने को मिली है. 2011 में नक्सली हमले में शहीद जवान किशोर पांडेय के परिवार को प्रशासन ने 10 हजार का मुआवजा और कफन में खर्च रकम वापस करने के लिए चिट्ठी लिखी है.
नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ में प्रशासन के संवेदनहीनता की हद देखने को मिली है. 2011 में नक्सली हमले में शहीद जवान किशोर पांडेय के परिवार को प्रशासन ने 10 हजार का मुआवजा और कफन में खर्च रकम वापस करने के लिए चिट्ठी लिखी है.
किशोर पाण्डेय छत्तीसगढ़ एसपीओ के जवान थे जो एक पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 2011 में शहीद हो गए थे. किशोर पाण्डेय के अंतिम संस्कार के लिए गरियाबंद जिले के पुलिस लाइन के रिज़र्व इंस्पेक्टर द्वारा 10 हजार रुपए की मदद की गई थी. अब इस 10 हजार को वापस लेने के लिए रिजर्व इंस्पेक्टर जिनके पास जिले के पुलिस लाइन का प्रभार होता है वो किशोर पाण्डेय के परिजनों को पत्र लिख रहे हैं.
गरियाबंद पुलिस 10 हजार वापस लेने के लिए पहले भी शहीद किशोर पाण्डेय के परिजन को पत लिख चुकी है. यह जो पत्र सामने आया है यह 12 अप्रैल का है जिसमें कफ़न और दफ़न की राशि वापस मांगी गई है.
आपको बता दें कि सरकार द्वारा शहीदों के अपमान का सिलसिला लगातार जारी है. सुकमा में हुए नक्सली हमले में 24 घंटे तक शहीदों के शव जंगल में पड़े रह गए थे. पूरी सच्चाई जब मीडिया में आई तब जाकर सरकार की नींद खुली और शहीदों के शवों को जंगल से निकालने में 24 घंटे से भी ज्यादा वक़्त लग गए थे.
छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक नक्सली हमलों पर आज अधिकारी गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौपेंगे जिसके बाद बैठक में नक्सली हिंसा से निपटने की ठोस रणनीति पर चर्चा होगी.