नई दिल्ली: आज (17 जुलाई) सावन का दूसरा सोमवार है. मान्यताओं के अनुसार भगवान महादेव को सावन का पवित्र महीना अतिप्रिय है. सावन में आने वाले प्रत्येक सोमवार के व्रत से करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी होती है. ऐसे में अगर आप भी सावन के महीने में देवों के महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं […]
नई दिल्ली: आज (17 जुलाई) सावन का दूसरा सोमवार है. मान्यताओं के अनुसार भगवान महादेव को सावन का पवित्र महीना अतिप्रिय है. सावन में आने वाले प्रत्येक सोमवार के व्रत से करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी होती है. ऐसे में अगर आप भी सावन के महीने में देवों के महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आज का दिन सबसे उत्तम है.
यदि आप इस महीने विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं तो वह आपसे जरूर प्रसन्न होंगे. मान्यता है कि इस माह में सभी कष्टों से भी मुक्ति मिलती है और शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से सावन के सोमवार में शिव भगवान के नाम का व्रत रखता है और उनके मंत्रों का जाप करता है तो उसपर भगवान शिव की कृपा दृष्टि बरसती है. आइए जानते हैं शिव तांडव समेत ऐसे कुछ ख़ास मंत्र जिनका उच्चारण आप पूजा करते समय कर सकते हैं.
इससे पहले आपको जानना होगा कि शिव तांडव स्त्रोत क्या है. दरअसल ये भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा रचित विशेष स्तुति है जो छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. कहा जाता है कि जब कैलाश पर्वत को लेकर रावण चलने लगा तो भगवान शिव ने इसे अपने अंगूठे से दबा दिया. इससे रावण भी कैलाश पर्वत के नीचे दब गया. इस दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्तुति की थी. इसी को तांडव स्त्रोत कहा जाता है. इसके अलावा जिस जगह पर रावण दबा हुआ था उस जगह को राक्षस ताल कहा जाता है.
हालांकि इस मंत्र का जाप करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. सबसे पहले शिवजी को प्रणाम करें और उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद शिव तांडव स्तोत्र का गाकर शिव की साधना करें.
सुबह या प्रदोष काल में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम होता है. पहले शिवजी को प्रणाम करें. उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें. अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा. पाठ के बाद शिवजी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें.
– ऊं नम: शिवाय:
– ऊं शंकराय नम:
– ऊं महेश्वराय नम:
– ॐ ईशानाय नम:
– ऊं नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
– ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
– ॐ त्र्यम्बकाय नम:
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम् ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम।।
महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”