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Maharashtra MLA Disqualification: शिंदे गुट की बढ़ी मुश्किलें, SC ने अयोग्यता मामले पर जारी किया स्पीकर को नोटिस

मुंबई। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे समेत उनके सहयोगी विधायकों की अयोग्यता का मामला विधानसभा स्पीकर के पास लंबित है. इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी, जिसको लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता सुनील प्रभु ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर कोर्ट से अनुरोध किया कि स्पीकर अयोग्यता के मामले […]

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Maharashtra MLA Disqualification: शिंदे गुट की बढ़ी मुश्किलें, SC ने अयोग्यता मामले पर जारी किया स्पीकर को नोटिस
  • July 14, 2023 4:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

मुंबई। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे समेत उनके सहयोगी विधायकों की अयोग्यता का मामला विधानसभा स्पीकर के पास लंबित है. इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी, जिसको लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता सुनील प्रभु ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर कोर्ट से अनुरोध किया कि स्पीकर अयोग्यता के मामले की प्रमुखता से सुनवाई करें. बता दें कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली जस्टिस पीएस नरसिम्हा ,जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पीकर राहुल नार्वेकर को नोटिस जारी किया है.

स्पीकर जल्द करें फैसला

सुनील प्रभु ने याचिका में मांग की है कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के पास शिंदे सहित उनके गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का मामला 2022 से लंबित है, उस पर फैसला जल्द से जल्द किया जाए. उनकी इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को नोटिस जारी किया है.

याचिका में ये कहा गया है

उद्धव गुट की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग के फैसलों को रद्द करने की मांग की गई है. उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि विधायक दल में हुई टूट को चुनाव आयोग ने पार्टी की टूट कहा है जो गलत है. चुनाव आयोग का शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी और उसका चुनाव चिन्ह सौंपने का फैसला कई सारी कानूनी गलतियों से भरा हुआ है. आयोग ने सिंबल ऑर्डर के पैराग्राफ 15 के तहत मिली हुई शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है.

2018 में संविधान बदला था

उद्धव ठाकरे गुट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में आगे कहा गया है कि साल 2018 में शिवसेना पार्टी का संविधान को बदला गया था, जिसके तहत पार्टी प्रमुख को काफी शक्तियां प्रदान की गई थीं. लेकिन चुनाव आयोग ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि उसे आधिकारिक तौर पर संविधान में बदलाव की जानकारी नहीं मिली थी.

शिंदे गुट को मिला है चिन्ह

बता दें कि, पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विधायकों और सांसदों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी. इसके बाद महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर कब्जे को लेकर दावा किया. इसके बाद 17 फरवरी को चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को काफी विस्तार से सुनने के बाद शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष-बाण और पार्टी का नाम एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था.

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