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हिमाचल : भारी बारिश से तबाही, अब तक 60 से अधिक मौतें , संचार व्यवस्था ठप

शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दिनों से हो रही भारी बारिश तबाही का कारण बन गई है. नदी , नाले उफान पर है जगह -जगह भूस्खलन की घटनाएं अब आपदा का रूप ले चुकी है , चंडीगढ़ -शिमला NH सहित 1328 सड़के बंद कर दी गई है. पिछले 2 दिनों में सामान्य से 110 […]

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हिमाचल : भारी बारिश से तबाही, अब तक 60 से अधिक मौतें , संचार व्यवस्था ठप
  • July 11, 2023 3:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दिनों से हो रही भारी बारिश तबाही का कारण बन गई है. नदी , नाले उफान पर है जगह -जगह भूस्खलन की घटनाएं अब आपदा का रूप ले चुकी है , चंडीगढ़ -शिमला NH सहित 1328 सड़के बंद कर दी गई है. पिछले 2 दिनों में सामान्य से 110 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, जिससे अभी तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

पैदल चल कर घर लौट रहे लोग

प्रदेश में भारी बारिश के कारण बाढ़ और लैंडस्लाइड के कारण सड़क के साथ -साथ रेल नेटवर्क भी बाधित हो गया है ,जिससे कुछ प्रवासी मजदूर वहां से पैदल ही घर जाने को मजबूर हो गये है.

ऑरेंज अलर्ट जारी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD ) के साथ ही मौसम विज्ञान केन्द्र शिमला के निदेशक ने बताया की आज भी प्रदेश में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि बिना कारण घर से बाहर ना निकले.

200 लोगों को रेस्क्यू किया गया

प्रदेश में पिछले 24 घंटे में अलग -अलग स्थानों पर बाढ़ और भूस्खलन में फंसे 200 से अधिक लोग सफलतापूर्वक निकाले जा चुके हैं वहीं आधा दर्जन लोगों के लापता होने की सूचना आ रही है. खराब मौसम के कारण राहत और बचाव कार्य में दिक्कत हो रही है. हिमचाल के साथ दिल्ली में भारी बारिश ने तबही मचाई है.

नदी का जल स्तर 206.32 पर पहुंचा

आज मंगलवार को पुराने रेलवे ब्रिज पर यमुना नदी का जल स्तर 206.32 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के स्तर से ऊपर पहुंच चुका है. राजधानी दिल्ली में नदी का उच्चतम बाढ़ स्तर 207.49 मीटर दर्ज किया गया है. सावधानी के तौर पर पुराने रेलवे ब्रिज पर रेलवे और यातायात की आवाजाही रोक दी गई है.

यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर

बता दें कि सोमवार की शाम से यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जल स्तर नीचे आने का अनुमान नहीं है. अगले 24 घंटे में यमुना के तटीय क्षेत्र जलमग्न होंगे, जिसका प्रभाव यमुना खादर में रहने वाले तकरीबन 40,000 लोगों पर पड़ेगा.

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