Sawan Somwar 2023: सावन का आज पहला सोमवार, जानें पूजा विधि और व्रत का महत्व

नई दिल्ली: श्रावण मास का शुभारंभ बुधवार 4 जुलाई से हो गया है, जो 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. इस साल श्रावण अधिक मास होने के कारण पूरे 59 दिनों तक भगवान भोलेनाथ की भक्ति का अवसर प्राप्त होगा. इस बार सावन के महीने में 8 सोमवार पड़ने वाले हैं. जिसमें से पहला सोमवार […]

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Sawan Somwar 2023: सावन का आज पहला सोमवार, जानें पूजा विधि और व्रत का महत्व

Noreen Ahmed

  • July 10, 2023 8:52 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: श्रावण मास का शुभारंभ बुधवार 4 जुलाई से हो गया है, जो 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. इस साल श्रावण अधिक मास होने के कारण पूरे 59 दिनों तक भगवान भोलेनाथ की भक्ति का अवसर प्राप्त होगा. इस बार सावन के महीने में 8 सोमवार पड़ने वाले हैं. जिसमें से पहला सोमवार आज यानी 10 जुलाई को पड़ रहा है. वहीं सावन के शुभ महीने में पहले सोमवार का खास महत्व बताया गया है. इस खास दिन भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए सोमवार के शुभ दिन पर महादेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से अधिक लाभ होता है. आइए आपको बताते हैं सावन सोमवार की पूजा की विधि और इसका महत्व.

इस साल सावन में 8 सोमवार और 4 प्रदोष व्रत

सावन भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का शुभ महीना माना जाता है। बता दें इस साल सावन का महीना 58 दिनों तक रहेगा। इसी के चलते 8 सावन सोमवार और 4 प्रदोष व्रत के साथ सावन शिवरात्रि का शुभ पर्व मनाया जाएगा। इसके अलावा सावन के आखिरी सोमवार व्रत और प्रदोष का दुर्लभ संयोग भी बनेगा।

जानें सावन सोमवार व्रत का महत्व

ऐसा माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को बेहद ही प्रिय होता है। साथ ही सावन के महीने में जो भी भक्त भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसकी हर तरह की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। वहीं सावन के महीने में आने वाले सोमवार का विशेष महत्व होता है। यह खास दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। जिस वजह से सोमवार का व्रत रखा जाता है। सावन माह के सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव के साथ शनिदेव और चंद्रदेव दोनों की ही कृपा मिलती है। जिनकी कुंडली में शनिदोष या सर्पदोष होता है उनके लिए सोमवार का व्रत करना अधिक आवश्यक होता है।

पूजा की विधि

– सावन सोमवार के शुभ अवसर पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
– इसके बाद फिर इस दिन सूर्यदेव को अर्ध्य देते हुए शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
– इस खास दिन शिवजी का जलाभिषेक करने के साथ-साथ शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही,शहद आदि अवश्य चढ़ाएं।
– इसके बाद फिर शिवलिंग पर पंचामृत भी चढ़ाएं।
– आखिरी में श्रद्धा से शिव चालीसा का पाठ, आरती और मंत्रों का जाप करें और साथ ही भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

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