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MAHARASHTRA POLITICS : चुनाव आयोग के हाथ में पहुंची ‘घड़ी’

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में एनसीपी में 2 गुट हो गया है. शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार अलग हो गए है. शरद पवार के भतीजे ने 18 विधायकों के साथ शिंदे सरकार के समर्थन दे दिया है. दोनों गुट चुनाव निशान पर अपना-अपना दावा कर रहे है. 5 जुलाई को मुंबई में दोनों […]

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MAHARASHTRA POLITICS : चुनाव आयोग के हाथ में पहुंची ‘घड़ी’
  • July 7, 2023 6:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में एनसीपी में 2 गुट हो गया है. शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार अलग हो गए है. शरद पवार के भतीजे ने 18 विधायकों के साथ शिंदे सरकार के समर्थन दे दिया है. दोनों गुट चुनाव निशान पर अपना-अपना दावा कर रहे है. 5 जुलाई को मुंबई में दोनों गुटों ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अजित पवार के बैठक में 25 से अधिक पहुंचे थे और शरद पवार की बैठक में 14 विधायक पहुंचे थे. अजित गुट ने शरद पवार को अध्यक्ष पद से हटा दिया है वहीं शरद पवार ने अजित पवार गुट के लोगों को पार्टी से निकाल दिया है. दोनों गुट चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गए है अब आने वाले समय में ही पता चलेगा कि एनसीपी का चुनाव चिन्ह किसके पास रहता है.

शरद पवार ने 1999 में बनाई थी एनसीपी

कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार ने 1999 में अलग पार्टी बनाई थी. एनसीपी का संविधान कांग्रेस के संविधान से काफी मिलता है. एनसीपी का संविधान के अनुसार वर्गिंग कमेटी के पास सबसे अधिक शक्ति है. एनसीपी के संविधान के अनुच्छेद 21(3) कहता है कि वर्किंग कमेटी कोई भी फैसला ले सकती है. अगर संविधान में कोई बदलाव होगा तो उसके लिए दो तिहाई सदस्यों की सहमति जरूरी है. जब एनसीपी में बगावत हुई तो सबसे पहले शरद पवार ने वर्किंग कमेटी से प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को बाहर किया.

क्या कहता है चुनाव आयोग का नियम

द इलेक्शन सिंबल ऑर्डर,1968 के अनुसार राजनीतिक दलों को मान्यता और चुनाव चिन्ह् आंवटित करता है. जब पार्टी के अंदर विवाद होता है तो चुनाव आयोग सबसे पहले संविधान देखता है. संविधान कितने लोकतांत्रिक तरीके से बनाया गया है इसका निरीक्षण करता है. इसी के साथ चुनाव आयोग पार्टी के पदों पर नेताओं की बातों का तरजीह देता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरद पवार गुट की तरफ से 5 हजार और अजित पवार गुट की तरफ से 3 हजार से अधिक एफिडेविट जमा किए गए है. दोनों गुटों में जब चुनाव चिन्ह् पर विवाद ज्यादा होता है तो चुनाव आयोग जब्त कर लेता है और दोनों गुटों को अस्थाई सिंबल दे देता है.

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