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Maharshtra Politics: नया नहीं है महाराष्ट्र का घमासान, कई सियासी घरानों में हो चुकी है चाचा भतीजा में भिड़ंत

मुंबई: महराष्ट्र में चल रही सियासी खटपट से NCP में दरार आ गई है जहां चाचा शरद पवार से भतीजे अजित की बगावत ने पूरे प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है. एक बार फिर चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार आमने -सामने खड़े हो गए हैं. अजित का दावा है कि उनके पास […]

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Maharshtra Politics: नया नहीं है महाराष्ट्र का घमासान, कई सियासी घरानों में हो चुकी है चाचा भतीजा में भिड़ंत
  • July 4, 2023 8:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

मुंबई: महराष्ट्र में चल रही सियासी खटपट से NCP में दरार आ गई है जहां चाचा शरद पवार से भतीजे अजित की बगावत ने पूरे प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है. एक बार फिर चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार आमने -सामने खड़े हो गए हैं. अजित का दावा है कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है जिनके साथ वह भाजपा में शामिल हो गए हैं. ऐसे में एनसीपी में इस फूट की लड़ाई का सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़कों पर जनता के बीच असर पड़ना भी स्वाभाविक है. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब किसी चाचा-भतीजे के बीच सियासी तल्खी रही हो.

यूपी में अखिलेश बनाम चाचा शिवपाल

उत्तर प्रदेश की सियासत को जानने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच रही तल्खी को भी जानते होंगे. साल 2016 में मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को लेकर चाचा और भतीजे के बीच तलवारें चल गई थीं. इसके बाद शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी वहीं अखिलेश यादव ने खुद को मुलायम सिंह के वारिस के तौर पर स्थापित किया. शिवपाल इस दौरान खुद को मुलायम सिंह यादव के वारिस साबित करने में फेल हो गए जहां 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें करारी हार मिली.

समाजवादी पार्टी पर अखिलेश यादव का ही कब्ज़ा है जहां शिवपाल के साथ आए कई नेता घर वापसी कर गए. हालांकि दोनों के बीच तल्खी दूर होने में देर भी नहीं हुई जहां मैनपुरी के उपचुनाव में डिंपल यादव को जिताने के लिए अखिलेश और शिवपाल की तल्खी दूर हो गई.

हरियाणा में चौटाला विवाद

हरियाणा की राजनीति में भी चाचा-भतीजे की लड़ाई अछूती नहीं रही है. जहां सियासी वर्चस्व को लेकर अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला और चाचा अभय चौटाला बीच भी सियासी विवाद देखने को मिला. दरअसल चौधरी देवीलाल की विरासत को संभालने वाले ओम प्रकाश चौटाला इनेलो की कमान संभाली थी. कुछ ही समय में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला शिक्षा भर्ती घोटाल में जेल गए तो इनेलो की कमान अभय चौटाला के हाथों में आ गई. अजय चौटाला के दोनों बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाल भी राजनीति में उतर गए लेकिन दुष्यंत चौटाला के सांसद बनते ही चाचा अभय चौटाला के साथ उनकी राजनीतिक अदावत तेज हो गई.

चाचा-भतीजे की लड़ाई से पार्टी दो धड़ों में बंट गई जहां अजय चौटाला ने अपने दोनों बेटों के साथ मिलकर जेजेपी नाम से अलग पार्टी बनाई। अभय चौटाला की सियासत 2019 के विधानसभा चुनाव में धराशाई हो गई. दूसरी ओर भतीजे दुष्यंत की पार्टी में 10 विधायक बने और उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया. दुष्यंत चौटाला राज्य के उपमुख्यमंत्री भी बने जहां यहां भी भतीजा चाचा पर भारी पड़ गया.

 

बिहार में भी चाचा भतीजे की सियासत

बिहार में रामविलास पासवान की विरासत पर भी चाचा-भतीजे की खूब खींचतान देखने को मिली थी जहां रामविलास के निधन के बाद चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच संग्राम दिखाई दिया. इस बीच रामविलास के भाई के होने नाते पशुपति पारस अपनी विरासत स्थापित करना चाहते थे दो दूसरी ओर बेटा होने के नाते चिराग पासवान अपना अधिकार जता रहे थे.

कुछ ही समाय में पशुपति ने चिराग को छोड़कर LJP के कुछ नेताओं को साथ दावा ठोक दिया. चिराग पासवान अलग थलग पड़ गए जहां दूसरी ओर अपने भाई की जगह पशुपति केंद्र में मंत्री बन गए. हालांकि बाद में चिराग ने खुद को रामविलास पासवान के सियासी वारिस के तौर पर स्थापित किया और भाजपा के साथ नज़दीकियां बना लीं.

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