नई दिल्ली: इस समय पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बवाल जारी है जिसे लेकर समाजवादी पार्टी लगतार केंद्र सरकार पर हमलावर है. इसी क्रम में सपा सांसद एसटी हसन का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि उन्हें कुरान के खिलाफ कोई भी चीज़ बर्दाश्त नहीं है. शरीयत ने जो हुक्म दिया […]
नई दिल्ली: इस समय पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बवाल जारी है जिसे लेकर समाजवादी पार्टी लगतार केंद्र सरकार पर हमलावर है. इसी क्रम में सपा सांसद एसटी हसन का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि उन्हें कुरान के खिलाफ कोई भी चीज़ बर्दाश्त नहीं है. शरीयत ने जो हुक्म दिया है वो केवल वहीं स्वीकार कर सकते हैं. इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी के सांसद ने UCC का समर्थन करने वाले मुसलमानों को इस्लाम छोड़ने तक की हिदायत दे दी है.
एक समाचार चैनल से बात करते हुए सपा सांसद ने कहा कि UCC को मुसलामानों पर थोपने की कोशिश की जा रही है. चाहे जितने ही बिल आ जाएं हमें जो शरीयत ने हुक्म दिए हैं उसके अलावा हमें कोई और हुक्म स्वीकार्य नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि हम वो ही काम करेंगे जो कुरान में बताए गए हैं. यदि कुरान के बताए रास्ते पर नहीं चलना है तो इस्लाम छोड़कर कहीं और चले जाएं. उन्होंने आगे भाजपा पर सवाल किए कि आखिर 2024 के चुनाव से पहले ये शिगूफा क्यों छेड़ दिया?
सांसद हसन ने आगे कहा कि लड़कियों की कम उम्र में शादियां केवल इस्लाम में नहीं की जाती है बल्कि बाल विवाह भी किया जाता है. उन्होंने आगे दलील दी कि तीन तलाक के बारे में कुरान में की ज़िक्र नहीं है इसलिए उसे स्वीकार कर लिया गया लेकिन इससे समाज के भीतर विवाद पैदा हुए. सपा सांसद ने आगे भाजपा पर इस्लाम को बदनाम कर वोट हासिल करने का आरोप लगाया. उन्होंने पुछा कि UCC तीन तलाक या CAA से हिन्दू भाइयों को क्या मिला? वह आगे कहते हैं कि जो अल्लाह के पैगाम को नहीं मानेगा वो मुसलमान नहीं हो सकता है.
गौरतलब है कि सामान नागरिक संहिता का अर्थ सभी धर्मों के लिए एक ही कानून व्यवस्था से है. फिलहाल देश में कई धर्मों के पास उनका पर्सनल लॉ सिस्टम है जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों के लिए कानून दिए गए हैं. यदि UCC लागू हो जाता है तो सभी धर्मों में रहने वाले लोगों के लिए शादी-तलाक जैसे मामलों को लेकर एक ही कानून होगा। ऐसे में सभी धर्मों के लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे. इसके तहत गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को भी शामिल किया गया है.