नई दिल्ली: गुरुवार यानी आज पूरा देश ईद का पर्व मना रहा है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को ईद-उल-अजहा उर्फ़ बकरीद की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर पूरे देश को ईद की मुबारकबाद दी है. Greetings on Eid-ul-Adha. May this day bring happiness and prosperity to everyone. May it also uphold […]
नई दिल्ली: गुरुवार यानी आज पूरा देश ईद का पर्व मना रहा है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को ईद-उल-अजहा उर्फ़ बकरीद की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर पूरे देश को ईद की मुबारकबाद दी है.
Greetings on Eid-ul-Adha. May this day bring happiness and prosperity to everyone. May it also uphold the spirit of togetherness and harmony in our society. Eid Mubarak!
— Narendra Modi (@narendramodi) June 29, 2023
पीएम मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा, यह दिन आप सभी के लिए सुख और समृद्धि लाए। साथ ही हमारे समाज में एकजुटता और सद्भाव की भावना को भी कायम रखे। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत के नेताओं और वहां के लोगों को भी ईद उल-अजहा (Eid al-Adha) के मौके पर शुभकामनाएं दी हैं. गुरुवार को उन्होंने कुवैद के आमिर शेख नवाफ, कुवैद के क्राउन प्रिंस शेख मिशाल, कुवैत के प्रधानमंत्री शेख अहमद नवाफ और कुवैत के नागरिकों को ईद की शुभकामनाएं दीं.
जहां भारतीय दूतावास की ओर से एक पत्र भी जारी किया गया है जिसमें लिखा है, प्रधानमंत्री ने ईद उल अजहा के पवित्र पर्व पर शुभकामनाएं दी और कहा कि भारत में लाखों मुसलमानों द्वारा ये पर्व मनाया जाता है. ये पर्व हमें त्याग, करुणा और भाईचारे के मूल्यों की याद दिलाता है जो शांतिपूर्ण और समावेशी दुनिया के निर्माण के लिए आवश्यक है.
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ईद-उल-अजहा के पवित्र पर्व पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने विश्वास दिखाया है कि ये पर्व भारत और बांग्लादेश के लोगों को और भी करीब लाएगा.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ज़ुल-हिज्जा महीने में मुस्लिम समुदाय के ज्यादातर लोग हज करते हैं. दरअसल ईद-उल-अजहा के दिन मक्का की वार्षिक हज यात्रा का समापन होता है. ज़ुल-हिज्जा के 10वें दिन बकरीद या ईद-उल-अजहा सेलिब्रेट करते हैं. ईद-उल-अजहा के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. चलिए जानते हैं बकरीद या ईद-उल-अजहा का इतिहास और साथ ही इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें-
– इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, बताया जाता है कि हजरत इब्राहिम ने अपने सपने में देखा था कि वे अपने सबसे प्रिय बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इस सपने को अल्लाह का संदेश मानकर अपने 10 वर्ष के बेटे को कुर्बान करने का निर्णय लिया.
– उस दौरान अल्लाह ने उनको बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी देने का संदेश दिया था. तब उन्होंने बेटे के बदले सबसे प्रिय बकरे को अल्लाह की राह पर कुर्बान कर दिया. तब से ही बकरीद पर कुर्बानी देने की परंपरा जारी है.