नई दिल्ली: रूस में इस समय बगावती सुर देखने को मिल रहे हैं हालांकि 12 घंटों की तनातनी के बाद देश में स्थितियां ठीक हो पाईं. पुतिन के सबसे भरोसेमंद रहे प्रिगोझिन के इस तरह अचानक रूसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लेने से सवाल उठ रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम के पीछे सोची-समझी साजिश […]
नई दिल्ली: रूस में इस समय बगावती सुर देखने को मिल रहे हैं हालांकि 12 घंटों की तनातनी के बाद देश में स्थितियां ठीक हो पाईं. पुतिन के सबसे भरोसेमंद रहे प्रिगोझिन के इस तरह अचानक रूसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लेने से सवाल उठ रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम के पीछे सोची-समझी साजिश का भी हाथ बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि प्रिगोझिन ने जो कदम उठाया उसके पीछे अमेरिका का हाथ था जिसके बाद प्रिगोझिन को बड़ी राहत दी गई है.
बगावत की टाइमिंग को लेकर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं जिसे लेकर जानकारी सामने आई है कि प्रिगोझिन के इस कदम के पीछे साफ़-साफ़ अमेरिका है. बताया जा रहा है कि एक सीक्रेट डील को लेकर अमेरिका और प्रिगोझिन के बीच हुई थी. इस खुलासे के बाद जो इनसाइड स्टोरी सामने आ रही है वो हैरान कर देने वाली है. दरअसल इस बात के तीन बड़े सबूत नज़र आ रहे हैं कि रूस में हुई बगावत में अमेरिका का हाथ हो सकता है.
पहला सबूत- वैगनर पर अमेरिका की अचानक नर्मी.
दूसरा सबूत- इस पूरे बगावत की भनक अमेरिका को पहले से ही थी.
तीसरा सबूत- प्रिगोझिन अमेरिका के लिए पुतिन के खिलाफ एक बड़ा हथियार साबित होगा. लिहाजा अमेरिका को उससे डील कर बड़ा फायदा मिल सकता है.
जानकारी के अनुसार, फिलहाल अमेरिका ने वैगनर पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं. बता दें, वैगनर पर अफ्रीकी देशों में गोल्ड माइनिंग को लेकर प्रतिबंध लगने थे, जिसे लेकर कहा गया कि गोल्ड माइनिंग की कमाई से वह युद्ध में रूस की मदद कर रहा है. हालांकि बगावत के सुर छिड़ने के बाद यूएस ने प्रतिबंध टालने का फैसला लिया है.मालूम हो वैगनर की आर्मी अफ्रीकी देश लीबिया, माली और सूडान में तैनात है. यहां पर संसाथन और कूटनीतिक समर्थन के एवज में अफ्रीका की मदद वैगनर ग्रुप करता है.