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XRay, CTscan और MRI को गुड बाय, आंख देखकर बीमारी बता देगी मशीनें… Sunder Pichai का दावा

नई दिल्ली: बीते कई वर्षों में मेडिकल साइंस में काफी तरक्की हुई है जहां अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने के लिए अलग-अलग तरह की मशीनें विकसित कर ली गई हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर गूगल के CEO सुंदर पिचाई का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सुंदर पिचाई आने वाले समय […]

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XRay, CTscan और MRI को गुड बाय, आंख देखकर बीमारी बता देगी मशीनें… Sunder Pichai का दावा
  • June 23, 2023 8:49 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: बीते कई वर्षों में मेडिकल साइंस में काफी तरक्की हुई है जहां अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने के लिए अलग-अलग तरह की मशीनें विकसित कर ली गई हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर गूगल के CEO सुंदर पिचाई का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सुंदर पिचाई आने वाले समय में इस तरह के डिवाइसेस की बात कर रहे हैं जो केवल आंखों को स्कैन कर दिल की बीमारी बता सकती हैं. ऐसे में उन्होंने दावा किया है कि आने वाले समय में सीटी स्कैन, एक्सरे जैसी फैसिलिटीज़ की ज़रूरत नहीं होगी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ये संभव हो पाएगा जिसे गूगल CEO ने वीडियो में साफ़ बताया है.

गूगल IO इवेंट का है वीडियो

दरअसल ये पूरा वीडियो 2018 के गूगल IO इवेंट का है जिसका एक वीडियो पूर्व नेवी अफसर और राईटर हरिंदर रस सिक्का ने शेयर किया है. वीडियो के साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा, “XRay, CTscan और MRI को गुड बाय. दिल की बीमारियों का पता आंख को स्कैन करके लगाया जा सकेगा. डॉक्टरों को अब शरीर के अंदर का क्लियर व्यू मिल सकेगा : सुंदर पिचाई.”

वीडियो की बात करें तो इसमें सुंदर पिचाई बताते हैं कि दुनिया के कई फील्ड्स में AI बड़े बदलाव लाने वाला है जिसमें से एक हेल्थ केयर का फील्ड भी है. इस फील्ड को AI पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म कर देगा.

इन बीमारियों का लगा सकते हैं पता

वायरल हो रहे इस वीडियो में गूगल CEO ने आगे बताया कि पिछले साल (2017) हमने डायबेटिक रेटिनॉपैथी पर अपना काम अनाउंस किया था जिसकी वजह से डीप लर्निंग का इस्तेमाल करके ऐसा सिस्टम बनाया गया कि ब्लाइंडनेस का सही समय पर पता लगाया जा सके. इस तकनीक का इस्तेमाल भारत के कई अस्पतालों में किया जा रहा है जो अभी फील्ड ट्रायल पर है. हमारी टेक्नोलॉजी ट्रेन्ड डॉक्टर्स की कमी को भी पूरा कर रही है. वीडियो में पिचाई ने आगे बताया कि AI सिस्टम डायबेटिक रेटिनॉपैथी के अलावा कई चीज़ों पर भी इनसाइट दे रहा है. आंख के स्कैन से व्यक्ति की उम्र, बायोलॉजिकल सेक्स, स्मोकिंग की स्थिति, बीएमआई आदि का पता लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं ये स्कैन हार्ट अटैक की आशंका को भी बता सकता है.

 

कैंसर का है प्रमुख कारण

गौरतलब है कि डायबिटिक रेटिनोपैथी भारत में आंखों के कैंसर का प्रमुख कारण है. गूगल CEO ने आगे बताया कि गूगल इस समय शंकरा जैसे नेत्र अस्पतालों के साथ आंख की बेहतर जांच के लिए मशीन लर्निंग को तैनात करने और कैंसर की संभावनाओं का जल्द पता लगाने के लिए काम कर रहा है. कंपनी क्षेत्रीय परीक्षण भी करेगी जिससे विकासशील देशों में डायबिटिक रेटिनोपैथी का निदान करने में मदद मिलेगी।

इसके आगे सुंदर पिचाई ने बताया कि कैसे भविष्य में AI की मदद से आप डायबिटिक रेटिनोपैथी का निदान भी पा सकेंगे. तकनीक की मदद से मरीज के भर्ती होने के चांस को ट्रेडिशनल तरीकों की तुलना में 24 से 48 घंटे पहले प्रिडिक्ट किया जा सकता है. इसका सीधा-सीधा अर्थ है कि डॉक्टर्स एक या दो दिन पहले बता सकेंगे कि मरीज की स्थिति भर्ती होने लायक है या नहीं. ऐसे में डॉक्टरों को ऐसे मरीजों का इलाज करने के लिए अधिक से अधिक समय मिल पाएगा.

इस तरह से लिया जाएगा फैसला

गूगल CEO इस दौरान एक चार्ट की मदद से पूरी स्थिति को समझाने का प्रयास करते नज़र आ रहे हैं. जहां उन्होंने बताया कि किस तरह से किसी मरीज की स्थिति को जांचकर ये नई तकनीक उसके एडमिट होने या अस्पताल से छुट्टी देने के चांस का चार्ट प्रस्तुत कर सकता है. उन्होंने आगे ये भी बताया कि इससे डॉक्टरों को मरीज संबंधित सभी मुश्किल निर्णय लेने में (जैसे- मरीज को कब छुट्टी देनी है?, कब भर्ती करना है? या मरीज के फिर बीमार पड़ने की कितनी आशंका है?) मदद मिलेगी. उदाहरण के लिए चार्ट पर नज़र डालें तो इसमें डॉक्टर और मरीज के बीच की मीटिंग्स से लेकर अर्जेंट केयर विजिट और होस्पिटलाइज़ेशन तक की स्थिति को देखते हुए मरीज के रीएडमिशन के चांस को दिखाया गया है जो 76 फीसदी है.

क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी?

बता दें, डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज के कारण होने वाला रोग है, जो आंख से संबंधित है. ये रोग मधुमेह के मरीजों में काफी आम हो गया है जो आमतौर पर उन लोगों को ही होता है, जो सालों से डायबिटीज से ग्रस्त हैं. इस रोग में डायबिटीज के कारण रेटिना की रक्तवाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिस वजह से रोगी को धुंधला दिखना, दोहरा दिखना, रंगों की पहचान करने में कठिनाई या रात के समय पूरी तरह से ना दिखने की समस्या होने लगती है.

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