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Nehru Museum: बदला गया नेहरू म्यूजियम का नाम लगाई गई नई नेम प्लेट

Nehru Museum, Inkhabar। नेहरू मेमोरियल एंड लाइब्रेरी सोसाइटी (Nehru Museum) का नाम बदलकर अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और सोसाइडी कर दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित एक विशेष बैठक के बाद नाम बदलने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा नए नाम की प्लेट भी संग्रहालय में लगा दी गई है। […]

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Nehru Museum: बदला गया नेहरू म्यूजियम का नाम लगाई गई नई नेम प्लेट
  • June 17, 2023 11:51 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Nehru Museum, Inkhabar। नेहरू मेमोरियल एंड लाइब्रेरी सोसाइटी (Nehru Museum) का नाम बदलकर अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और सोसाइडी कर दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित एक विशेष बैठक के बाद नाम बदलने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा नए नाम की प्लेट भी संग्रहालय में लगा दी गई है।

गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई, जिसमें नेहरु मेमोरियल (Nehru Museum) का नाम बदलने के फैसले पर मुहर लगाई गई थी। बता दें, नेहरू मेमोरियल एंड लाइब्रेरी सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री है। वहीं राजनाथ सिंह इसके उपाध्यक्ष है। इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी समेत 29 लोग इस सोसायटी के सदस्य हैं।

Nehru Museum: कांग्रेस की आई प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार द्वारा नेहरू मेमोरियल एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदलने के फैसले पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने म्यूजिम के नाम बदलने पर मोदी सरकार की आलोचना की है। इसको लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा, 59 वर्ष से अधिक समय के लिए नेहरु मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय बौद्धिक पुस्कतों का घर रहा है। अब इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय और सोसाइटी कहा जाएगा। पीएम मोदी भारत की विरासत को नष्ट करना चाहते है।

संजय राउत ने क्या कहा ?

वहीं केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर संजय राउत ने कहा कि, पंडित नेहरू ने देश को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी योगदान दिया था। देश में कई प्रधानमंत्री हुए और सभी ने देश के लिए काम किया है। लेकिन संग्रहालय का नाम बदलने की जरूरत नहीं थी। नेहरू के नाम से ही संग्रहालय चल सकता था। उसी में आप बढ़ा स्थान सभी को दे सकते थे। पंडित नेहरू से नफरत के कारण ये किया गया है

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