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कर्नाटक: धर्मांतरण विरोधी कानून वापस, सिद्धारमैया सरकार ने पलटा BJP का फैसला

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर सरकार बनाई और सिद्धारमैया राज्य के मुख्यमंत्री बने. कर्नाटक में सरकार बदलने के साथ ही अब बदलावों की शुरुआत हो गई है. सिद्धारमैया सरकार भाजपा द्वारा किए गए कई बदलावों में परिवर्तन कर रही है. इसी कड़ी में धर्मांतरण विरोधी कानून को भी वापस ले […]

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कर्नाटक: धर्मांतरण विरोधी कानून वापस, सिद्धारमैया सरकार ने पलटा BJP का फैसला
  • June 15, 2023 4:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर सरकार बनाई और सिद्धारमैया राज्य के मुख्यमंत्री बने. कर्नाटक में सरकार बदलने के साथ ही अब बदलावों की शुरुआत हो गई है. सिद्धारमैया सरकार भाजपा द्वारा किए गए कई बदलावों में परिवर्तन कर रही है. इसी कड़ी में धर्मांतरण विरोधी कानून को भी वापस ले लिया गया है.

 

वापस लिया कानून

दरअसल इस साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से राज्य में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं. गुरुवात को कर्नाटक कैबिनेट ने स्कूल की किताबों को बदलने का फैसला लिया था. जानकारी के अनुसार किताबों में जिन चैप्टर्स को पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार द्वारा शामिल किया गया था उन्हें हटाया जाएगा. दूसरी ओर कांग्रेस सरकार ने राज्य में BJP द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को भी वापस ले लिया है. संविधान की प्रस्तावना को स्कूली बच्चों के लिए पढ़ना भी कर्नाटक स्कूलों में जरूरी बना दिया गया है.

बता दें,राज्य में किताबों में भाजपा द्वारा किए गए बदलावों को लेकर पिछले कई दिनों से चर्चा की जा रही थी. अब इन सभी बदलावों को लेकर भाजपा कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है. गुरुवार को सिद्धारमैया सरकार ने फैसला लिया है कि किताबों में जिन बदलावों को भाजपा ने किया है उसे बदलने के लिए पांच सदस्यीय कमिटी का गठन किया जाएगा जिसका नेतृत्व राजप्पा दलावायी करेंगे.

 

क्या थी बीजेपी की दलील?

पिछले साल दिसंबर महीने में बोम्मई के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार धर्मांतरण के खिलाफ कानून लेकर आई थी. उस समय कांग्रेस पार्टी और JDS ने बीजेपी के इस कानून का विरोध किया था. हालांकि बाद में बीजपी के संख्या बल की कमी से विधान परिषद में ये विधेयक पारित नहीं हो पाया था. लेकिन मई महीने में बीजेपी ने अध्यादेश के माध्यम से इस बिल को पास कर दिया था. भाजपा का इस बिल पर तर्क था कि धर्म परिवर्तन काफी आम हो गया है.

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