कोलकाता: मंगलवार यानी आज पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने राज्य पंचायत चुनाव के लिए नामांकन तारीख को बढ़ाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. दरअसल बंगाल पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की […]
कोलकाता: मंगलवार यानी आज पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने राज्य पंचायत चुनाव के लिए नामांकन तारीख को बढ़ाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. दरअसल बंगाल पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं में पंचायत चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी. हालांकि ये चुनौती नोटिफिकेशन के केवल कुछ ही हिस्सों को दी गई थीं.
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीररंजन चौधरी ने इस मामले में एक याचिका दायर की थी वहीं दूसरी याचिका शुभेंदु अधिकारी की ओर से दायर की गई थी. गौरतलब है कि 8 जुलाई को पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का चुनाव होने जा रहा है. ये चुनाव लोकसभा चुनाव से कुछ ही समय पहले होगा जिसे अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट कहा आ रहा है. सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और विपक्ष में बैठी भाजपा समेत कई पार्टियां इन चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंकने जा रही है. इसी कड़ी में कलकत्ता हाईकोर्ट में विपक्षी दलों ने याचिका दायर की थी जिसपर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के निर्देश दिए थे.
गुरुवार यानी 8 जून को पश्चिम बंगाल के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने एक प्रेस वार्ता की जिसमें उन्होंने चुनाव का पूरा शेड्यूल जारी किया है. राजीव सिन्हा ने घोषणा की कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव एक ही चरण में करवाए जाएंगे. बता दें, काफी अरसे से राज्य में चुनाव की तारीखों का इंतज़ार किया जा रहा था जो ख़त्म हो गया है. पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 9 से 15 जून तक चलेगी और राज्य में नतीजे 11 जुलाई को आएँगे. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए 8 जुलाई को मतदान करवाया जाएगा जो केवल एक ही चरण में होगा.
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