नई दिल्ली: बारिश के मौसम में अक्सर बिजली गिरने के मामले सामने आते रहते हैं। उसकी तेज गड़गड़ाहट से हर कोई डर जाता है। आसमान में जब बिजली कड़कने लगती है तो मन में एक ही डर रहता है कि कहीं यह हमारे घर के आसपास न आ जाए। कभी-कभी जब लोग घर से दूर […]
नई दिल्ली: बारिश के मौसम में अक्सर बिजली गिरने के मामले सामने आते रहते हैं। उसकी तेज गड़गड़ाहट से हर कोई डर जाता है। आसमान में जब बिजली कड़कने लगती है तो मन में एक ही डर रहता है कि कहीं यह हमारे घर के आसपास न आ जाए। कभी-कभी जब लोग घर से दूर होते हैं और मौसम खराब हो जाता है तो वे अक्सर पेड़ के नीचे ही रहते हैं। लेकिन क्या आपको ऐसा करना चाहिए? बदलते मौसम के बीच हम इसका जवाब जानने की कोशिश करते है।
साल 1872 में पहली बार वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन (Benjamin Franklin) ने बिजली गिरने का सही कारण बताया था। उन्होंने बताया कि आसमान में बादलों में पानी के छोटे-छोटे कण होते हैं, जो हवा के रगड़ से चार्ज हो जाते हैं। इससे कुछ बादलों में पॉजिटिव चार्ज आता है और कुछ में निगेटिव चार्ज आ जाता है। जब दोनों तरह के + और – वाले बदल आपस में रगड़ खाते हैं तो इनके मिलने से लाखों वोल्ट बिजली पैदा होती है। कई बार यह बिजली इतनी ज्यादा होती है कि धरती तक पहुंच जाती है। इसे बिजली को बिजली गिरना कहा जाता है।
जब बिजली गिरती है, तो यह अक्सर जानलेवा होती है। आसमान से बिजली गिरना का सबसे ज़्यादा खतरा खेत में काम करने वाले लोगों को होता है। इसके साथ ही पेड़ों के नीचे खड़े होकर, तालाब में नहाते समय और मोबाइल फोन सुनने वाले व्यक्ति को भी इसका ज़्यादा खतरा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, मोबाइल फोन से अल्ट्रावायलेट रेज़ निकलती हैं, जो बिजली को अपनी ओर खींचने का काम करती है।
बिजली में सबसे छोटा रास्ता चुनने का गुण होता है। ऐसे में जब आसमान से बिजली धरती पर पहुंचती है तो बिजली के ऊंचे-ऊंचे खंभे उसे कंडक्टर देने का काम करते हैं। इसलिए बिजली खंभों के आसपास बिजली ज्यादा गिरती है। अगर बिजली गिरती है तो आपका घर सबसे सुरक्षित है, अगर आप किसी पेड़ के नीचे हैं तो ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में आंधी के दौरान बिजली गिरने के अलावा पेड़ों के टूटने का भी खतरा रहता है।