क्यों खतरे में हैं Cheetah प्रोजेक्ट! जानें भारत में चीतों का इतिहास!

नई दिल्ली: देश में मोदी सरकार चीतों को भारत में बसाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इसके लिए तमाम प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। मालूम हो कि नामीबिया (Namibia) और साउथ अफ्रीका (South Africa) से 20 चीते लाए गए थे। लेकिन 45 दिनों में तीन चीतों की मौत हो गई। इस वजह […]

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क्यों खतरे में हैं Cheetah प्रोजेक्ट! जानें भारत में चीतों का इतिहास!

Amisha Singh

  • May 22, 2023 5:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: देश में मोदी सरकार चीतों को भारत में बसाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इसके लिए तमाम प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। मालूम हो कि नामीबिया (Namibia) और साउथ अफ्रीका (South Africa) से 20 चीते लाए गए थे। लेकिन 45 दिनों में तीन चीतों की मौत हो गई। इस वजह से पूरे चीता प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

➨ Cheetah प्रोजेक्ट पर उठ रहे सवाल

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी चीतों की मौत पर चिंता जताते हुए सरकार से कड़े सवाल पूछे हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) इन चीतों के लिए कम पड़ रहा है। क्या सरकार ने चीतों को लाने में किसी तरह की जल्दबाजी की? कूनो के अलावा सरकार चीतों को कहां रखने की तैयारी कर रही है?

 

➨ 45 दिनों में 3 चीतों की मौत हो गई

खबर के मुताबिक, नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा ने 27 मार्च को दम तोड़ दिया था। बताया जा रहा है कि इसकी मौत किडनी की बीमारी से हुई थी। बाद में 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीका से लाए गए उदय नाम के चीते की मौत हो गई। दो एक के बाद एक चीतों की मौत से हर कोई हैरान था कि इसी कड़ी में एक और चीते की मौत हो गई। 9 मई को साउथ अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्ष की मेटिंग के समय पर लड़ाई में मौत हो गई थी। 45 दिन में तीन चीतों की मौत से पूरे चीता प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि थोड़ी राहत यह रही कि ज्वाला नाम के एक चीते ने मार्च में चार शावकों को जन्म दिया।

 

➨ कूनो (Kuno) नेशनल पार्क में रखे गए चीते

विदेशों से लाए गए 20 चीतों को MP के कूनो नेशनल पार्क में रखा गया था। कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि कूनो इतनी बड़ी तादाद में चीतों को रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। आपको बता दें, चीतों का मुख्य शिकार चीतल होता है। साल 2014 में कूनो में प्रति वर्ग किलोमीटर औसतन 60 चीतल थे, लेकिन अब उनकी तादाद घटकर 20 के आसपास रह गई है। ऐसे में बचे हुए चीतों को दूसरी जगह ले जाना चाहिए। जिससे कि आगे और चीतों की मौत को रोका सके।

 

➨ देश में चीतों का इतिहास

• सैकड़ों सालों तक चीते देश में शानोशौकत का हिस्सा रहे।
• चीतों के शिकार का रिकॉर्ड आखिरी बार 1948 में दर्ज किया गया।
• कोरिया के राजा ने 3 चीतों का शिकार किया था।
• साल 1952 में चीतों को विलुप्त करार दिया गया था।

 

➨ बाहर के देशों से भारत आए चीते

• 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से कुल 8 चीते भारत लाए गए।
• 18 फरवरी 2023 को 12 चीते साउथ अफ्रीका से लाए गए।
• केंद्र सरकार का मकसद अगले 5 साल में 50 चीते लाने की है।
• साल 2009 में भी सिंगापुर से 4 चीते लेकर भारत लाए गए थे।

 

➨ बीते 45 दिन में 3 चीतों की हुई मौत

• 27 मार्च को साशा (मादा चीता) की किडनी फेल होने से मौत।
• 23 अप्रैल को दिल फेफड़े खराब होने से उदय चीता की मौत।
• 9 मई को दक्षा ने मेटिंग के वक्त लड़ाई दम तोड़ दिया।
• 29 मार्च को ज्वाला (मादा चीता) ने चार शावकों को जन्म दिया।

 

 

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