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Delhi Govt vs Centre: जानें अध्यादेश से जुड़ी 4 अहम बातें

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार को लेकर नया अध्यादेश जारी किया। नए अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में आखिरी फैसला उपराज्यपाल (LG) का होगा। केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पेश किया […]

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Delhi Govt vs Centre: जानें अध्यादेश से जुड़ी 4 अहम बातें
  • May 20, 2023 4:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार को लेकर नया अध्यादेश जारी किया। नए अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में आखिरी फैसला उपराज्यपाल (LG) का होगा। केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पेश किया था जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा।

अब केंद्र ने अपने फैसले से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। ऐसे में जानिए क्या है अध्यादेश, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा, अध्यादेश को कानून बनने में कितना वक़्त लगेगा और इस फैसले से कितना कुछ बदलेगा। आइए इस खबर के जरिए से जानते हैं:

 

➨ केंद्र सरकार के अध्यादेश की 4 अहम बातें

1. केंद्र सरकार के अध्यादेश में 4 बड़ी बातें कही गईं। सबसे पहले, दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एक नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (NCCSP) का गठन किया जाएगा।

2. इस अथाॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और गृह विभाग के सचिव शामिल होंगे। हर फैसला बहुमत से होगा।

3. यदि CM अथॉरिटी की इस बैठक में शामिल नहीं होते हैं, तो भी बैठक मान्य होगी। अथॉरिटी की सभी सिफारिशें उपराज्यपाल को आगे भेजी जाएंगी और अंतिम फैसला उन्हीं का माना जाएगा।

4. हालांकि, यह पूरी तरह से उपराज्यपाल पर निर्भर करेगा कि वे ऐसी सिफारिशों को मानते हैं या नहीं। दिल्ली विधानसभा को केंद्र और राज्य के अफसरों के खिलाफ कोई प्रासंगिक कानून बनाने का अधिकार नहीं रहेगा।

 

➨ अब आगे क्या होगा?

अब अगले छह महीने के भीतर केंद्र को यह अध्यादेश सदन के सामने पेश करना होगा। मंजूरी मिली तो यह कानून बन जाएगा। यदि ऐसा नहीं हो पाया, तो यह खत्म हो जाएगा। हालांकि, सरकार फिर से अध्यादेश जारी कर सकती है। अगर यह कानून बन जाता है तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं हो पाएगा और ट्रांसफर पोस्टिंग करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहेगा और फिर ऐसी स्थिति में अंतिम फैसला LG का ही मान्य होगा।

 

 

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