नई दिल्ली: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजानिक की गई. इस समिति को शीर्ष अदालत द्वारा अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए बनाया गया था. 24 जनवरी को 2023 को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड […]
नई दिल्ली: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजानिक की गई. इस समिति को शीर्ष अदालत द्वारा अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए बनाया गया था. 24 जनवरी को 2023 को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया गया था. साथ ही अडानी ग्रुप पर अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया गया था. हालांकि अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रहा. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन भी किया था जिसकी रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी लाभकारी मालिकों का खुलासा अडानी समूह ने किया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि SEBI ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया जिसमें वह अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को खारिज कर रहा है. अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद इजाफा हुआ है. इस रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि प्रथम दृष्टया के स्तर पर मौजूदा नियमों या कानूनों का किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं किया गया है.
विशेष कमिटी की ये रिपोर्ट बताती है कि अभी भी सेबी के पास संपत्ति के लिए 13 विदेशी संस्थाओं और प्रबंधन के तहत 42 योगदानकर्ताओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है.इसके अलावा रिपोर्ट में SEBI को ये तय करने के लिए छोड़ा गया है कि क्या 13 संस्थाओं, जिनकी जांच लंबित है उसमें कोई मामला बनाया जा सकता है. ईडी के मामले का उल्लेख करते समय इस रिपोर्ट में सेबी ने प्रथम दृष्टया कोई आरोप नहीं लगाया है.
आगे इस रिपोर्ट में बताया गया है कि नई कीमत पर भारतीय बाजारों को अस्थिर किए बिना अडानी के शेयर स्थिर हो गए हैं. स्टॉक को स्थिर करने के लिए अडानी ने जो प्रयास किए हैं उसे भी इस रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है.
यह रिपोर्ट आगे कहती है कि सभी जांचों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की जरूरत है. पैनल वर्तमान समय में यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि कीमतों की हेरफेर का आरोप नियामक की विफलता रही है. अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि समूहों की संस्थाओं के स्वामित्व के संबंध में भारत के बाजार नियामक ने अपनी जांच में निष्कर्ष पेश किए हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और उसके परिणामों से अडानी के शेयरों में अस्थिरता अधिक रही.
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