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कैबिनेट की फेरबदल सवालों के घेरे में, पहली बार कानून मंत्रालय संभालेगा राज्य मंत्री

नई दिल्ली: गुरुवार को मोदी कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय ले लिया है. अब वह सरकार का भू विज्ञान मंत्रालय देखेंगे. उनके साथ-साथ डिप्टी को भी कानून मंत्रालय से हटाकर स्वास्थ्य मंत्रालय पर शिफ्ट कर दिया गया है. केंद्रीय कानून मंत्रालय की सहायता के लिए नियुक्त किए गए राज्यमंत्री एसपी सिंह […]

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कैबिनेट की फेरबदल सवालों के घेरे में, पहली बार कानून मंत्रालय संभालेगा राज्य मंत्री
  • May 18, 2023 6:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: गुरुवार को मोदी कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय ले लिया है. अब वह सरकार का भू विज्ञान मंत्रालय देखेंगे. उनके साथ-साथ डिप्टी को भी कानून मंत्रालय से हटाकर स्वास्थ्य मंत्रालय पर शिफ्ट कर दिया गया है. केंद्रीय कानून मंत्रालय की सहायता के लिए नियुक्त किए गए राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल के दायित्व को बदल दिया गया है. अचानक हुए इस बदलाव ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया. इस फेरबदल के बाद कई सवाल उठने लगे हैं जिसमें से एक रैंक को लेकर भी है.

उठे कई बड़े सवाल

एक सवाल ये भी है कि क्या ये फैसला आनन-फानन में लिया गया है? दरअसल नवनियुक्त कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल गुरुवार को पद पर नियुक्त होने से पहले किरेन रिजिजू से मिलने उनके घर गए थे. जब मेघवाल ने मंत्रालय का चार्ज लिया तो उस समय रिजिजू मंत्रालय में मौजूद नहीं थे. अक्सर मंत्रालय का मंत्री बदलते समय पुराना मंत्री मौके पर मौजूद होता है जो नए व्यक्ति को चार्ज देता है.

रैंकिंग को लेकर भी प्रश्न

एक और बिंदु ये है कि कानून मंत्री का पद बीआर आंबेडकर से लेकर किरेन रिजिजु तक कैबिनेट रैंक के मंत्री को ही दिया गया है. लेकिन पहली बार लॉ मिनिस्ट्री का दर्जा घटाते हुए राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को ये पद सौंपा गया है. इसकी एक वजह ये है कि राज्यमंत्री को स्वतंत्र प्रभार करने पर शपथ की औपचारिकता नहीं चाहिए होती है. लेकिन एक तकनीति परेशानी ये भी है कि राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) के नीचे राज्यमंत्री काम कर सकता है कि नहीं. क्योंकि कानून मंत्रालय में एसपीसिंह बघेल राज्यमंत्री थे इसलिए उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय दे दिया गया है.

क्या फिर प्रयोग कर रही है मोदी सरकार?

इसी प्रकार भू विज्ञान मंत्रालय विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के साथ किसी राज्य मंत्री को स्वतंत्र प्रभार में दिया जाता है. डॉ. जितेंद्र सिंह के पास रिजिजू से पहले ये मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार के तौर पर था. लेकिन किसी कैबिनेट मंत्री को ये विभाग देना अनूठा माना जा रहा है बता दें, 2014 में मोदी सरकार ने नया प्रयोग किया था जिसमें दस ऐसे राज्य मंत्री शामिल थे जिन्हें अपने विभागों का स्वतंत्र प्रभार तो था ही बल्कि वे अन्य मंत्रालयों में राज्य मंत्री भी थे. ऐसे में आज का घटनाक्रम भी प्रशासन के नए प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है.

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