नई दिल्ली: पाकिस्तान का नाम दुनिया के उन देशों में शामिल है जो हर समय गृहयुद्ध से घिरा रहता है. बाहरी ताकतों के अलावा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को कुछ अंदरूनी ताकतों से भी ख़तरा है. इस समय पाकिस्तान की हालत खस्ता है जहां पहले से जारी आर्थिक संकट के बाद सियासी खेला भी शुरू हो […]
नई दिल्ली: पाकिस्तान का नाम दुनिया के उन देशों में शामिल है जो हर समय गृहयुद्ध से घिरा रहता है. बाहरी ताकतों के अलावा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को कुछ अंदरूनी ताकतों से भी ख़तरा है. इस समय पाकिस्तान की हालत खस्ता है जहां पहले से जारी आर्थिक संकट के बाद सियासी खेला भी शुरू हो गया है. एक बार फिर पाकिस्तानी सेना और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच जंग छिड़ गई है. इसी कड़ी में इमरान खान पर आर्मी एक्ट के तहत केस भी दर्ज़ कर लिया गया है.
बताया जा रहा है कि PTI प्रमुख इमरान खान को अल्टीमेटम भी दे दिया गया है कि या तो वो लंदन चले जाएं या फिर मुकदमें का सामना करें. बता दें, इमरान खान ने एक वीडियो जारी कल कहा था कि वह किसी भी हाल में भागने नहीं वाले हैं. हालांकि अगर ऐसा होता भी है तो इमरान खान ऐसे पहले पाकिस्तानी नेता नहीं होंगे जो लंदन भागेंगे. उनसे पहले भी कई नेताओं ने देश छोड़कर लंदन का रुख किया था. चलिए बताते हैं कि आखिर क्यों सभी पाकिस्तानी नेता देश छोड़कर लंदन की ओर भागते हैं.
दरअसल पाकिस्तानी नेताओं का ‘लंदन प्रेम’ बेहद पुराना है क्योंकि लंदन में कई इलाके मिनी पाकिस्तान की तरह विकसित हुई हैं. पाकिस्तानी नेता और सेना के विरोधियों ने कई इलाकों में पहले से ही शरण ली हुई है. ऐसे में यदि लंदन जाया जाए तो वहाँ पर कई ऐसे लोगों से मुलाकात होगी जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हैं. इस लिस्ट में बेनजीर भुट्टो से लेकर परवेज मुशर्रफ और नवाज़ शरीफ तक का नाम शामिल है जिन्होंने पहले से ही पाकिस्तान को अपना घर बनाया है.
पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो का गैर आधिकारिक ऑफिस लंदन में बना था. 1981 में बेनजीर को फिर गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद वह दो साल तक हाउस अरेस्ट में रहीं. अमेरिका का दबाव बढ़ने के बाद 1984 में सेना ने बेनजीर को जिनेवा की फ्लाइट में बैठा दिया था. उनके अलावा नवाज शरीफ भी लंदन में ही थे जो बेनजीर के अच्छे पड़ोसी भी थे. 1999 में मुशर्रफ के सत्ता पर काबिज होने के बाद वो भी लंदन भाग गए थे. इतना ही नहीं नवाज शरीफ को लंदन भेजने वाले परवेज मुशर्रफ को भी वहां घर बसाना पड़ा था. हालांकि बाद में वह दुबई चले गए थे.
अपने देश में अपराधी साबित होने वाले सभी पाकिस्तानी नेता लंदन को सुरक्षित ठिकाना मानते हैं. ऐसा ब्रिटेन के कानून के अनुसार जो शरणार्थियों को बचाता है. ब्रिटेन का प्रत्यर्पण कानून वहाँ आने वाले सभी लोगों को बचने का एक मौका देता है. आर्टिकल 9 में ऐसे चार प्रावधान किए गए हैं जिसमें लंदन या ब्रिटेन के किसी भी इलाके में शरण लेने वाले लोगों को यहां रहने की आज़ादी दी जाती है. इस एक्ट का लक्ष्य मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है.