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अर्जुन मेघवाल के बहाने दलित वोटरों पर बीजेपी का निशाना, जानिए सियासी मायने

नई दिल्ली। देश को नया कानून मंत्री (Law minister) मिल चुका है। बता दें, किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय (Law minister) छीन लिया गया है। अब अर्जुन राम मेघवाल को देश का नया कानून मंत्री बनाया गया है। ऐसे में जानिए कौन है अर्जुन राम मेघवाल- बीकानेर से सांसद है अर्जुन मेघवाल हमेशा से सादा जीवन […]

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अर्जुन मेघवाल के बहाने दलित वोटरों पर बीजेपी का निशाना, जानिए सियासी मायने
  • May 18, 2023 2:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। देश को नया कानून मंत्री (Law minister) मिल चुका है। बता दें, किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय (Law minister) छीन लिया गया है। अब अर्जुन राम मेघवाल को देश का नया कानून मंत्री बनाया गया है। ऐसे में जानिए कौन है अर्जुन राम मेघवाल-

बीकानेर से सांसद है अर्जुन मेघवाल

हमेशा से सादा जीवन जीने वाले मेघवाल इस समय बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद है। अर्जुन राम मेघवाल का जन्म 7 दिसंबर 1954 में हुआ। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 2009 में हुई थी। मेघवाल पहली बार भाजपा के टिकट से बीकानेर लोकसभा से चुनाव लड़े थे, और उन्हें जीत हासिल हुई थी। इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए। मेघवाल केंद्र सरकार में वित्त और कंपनी मामले में राज्य मंत्री संसदीय कार्य मंत्री, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री रह चुके है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए।

मेघवाल के जरिए दलित वोट को साधने की तैयारी

माना जा रहा है कि मेघवाल के जरिए भाजपा राजस्थान में दलित वोट बैंक को अपनी तरफ करना चाहती है। इस समय अर्जुन मेघवाल राजस्थान में भाजपा के सबसे बड़े दलित चेहरा है। इस साल के अंत तक राजस्थान में विधानसभा के चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मेघवाल को कानून मंत्री बनाने के बाद मोदी सरकार राजस्थान में दलित मतदाताओं को साधने और उनके बीच दलित हितैषी होने का दांव चल रही है।

राजस्थान में दलित वोट बैंक का प्रभाव

बता दें, राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं। इनमें से 34 सीटें अनुसूचित जाति और 25 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राजस्थान में दलित मतदाता परंपरागत रूप से भाजपा का ही वोट बैंक रहे हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों की बात करें तो आंकड़े बताते हैं कि जिस दल ने एससी और एसटी सीटों पर कब्जा किया है, उसी ने राजस्थान में सरकार बनाई है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, राजस्थान में अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या 17.83 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी 13.48 प्रतिशत है। यानी 31 फीसदी से ज्यादा दलित वोटरों की आबादी है।

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