मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत ने एक बार फिर बड़ी करवट ली है जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी उर्फ़ NCP के अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. सीनियर पवार के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद सियासत गरमा गई है. पहले ही राज्य में अजित पवार के बागी […]
मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत ने एक बार फिर बड़ी करवट ली है जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी उर्फ़ NCP के अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. सीनियर पवार के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद सियासत गरमा गई है. पहले ही राज्य में अजित पवार के बागी तेवर देखते हुए कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं और अब शरद पवार के फैसले ने एक बार फिर NCP को हिलाकर रख दिया है. इसी बीच उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया सामने आई है.
शरद पवार के NCP अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि यह शरद पवार का व्यक्तिगत और एनसीपी का आंतरिक मामला है। इस बात पर अभी कुछ बोलना जल्दी होगा। मुझे लगता है कि अभी हमें राह देखनी चाहिए और उसके बाद ही हम कुछ बोलेंगे. बता दें, देवेंद्र फडणवीस से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी शरद पवार के इस फैसले को पार्टी के आंतरिक मुद्दा बताया था. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह एनसीपी का आंतरिक मामला है और जहां तक महाविकासी अघाड़ी का सवाल है तो उनका (शरद पवार) मार्गदर्शन हमें मिलता रहेगा और महाविकास अघाड़ी अच्छे से चलेगी।
भतीजे अजित पवार के बगावती सुर लंबे समय से सुनाई दे रहे हैं. अब शरद पवार के इस फैसले के बाद पार्टी में टूट की अटकलें और भी तेज़ हो गई हैं. हालांकि, राजनीतिक जानकारों का ये मानना है कि शरद पवार ने पार्टी को टूट से बचाने के लिए ये फैसला लिया है. दूसरी ओर पहले भी अजित पवार पार्टी से बगावत कर चुके है. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी जिसमें वह उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के काफी मान-मनौव्वल के बाद वापस चाचा की पार्टी में आ गए थे.
सीनियर पवार यदि अध्यक्ष पद पर नहीं रहेंगे तो महाराष्ट्र में भाजपा का पलड़ा भारी हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भतीजे अजित पवार का झुकाव पहले से ही बीजेपी की तरफ है. इसके अलावा महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में बीते कुछ दिनों से यह चर्चा हो रही है कि 40 विधायकों के साथ अजित पवार बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं. हालांकि, इन चर्चाओं पर अजित सफाई देते हुए कह चुके हैं कि जीवन के अंतिम समय तक वह चचा की पार्टी में ही रहेंगे।
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