नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत की है जिसके तहत रविवार को 229 लोगों के समूह को सुरक्षित भारत लाया गया है. इससे एक दिन पहले ही यानी शनिवार को 365 लोगों को रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत सूडान से दिल्ली लाया गया […]
नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत की है जिसके तहत रविवार को 229 लोगों के समूह को सुरक्षित भारत लाया गया है. इससे एक दिन पहले ही यानी शनिवार को 365 लोगों को रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत सूडान से दिल्ली लाया गया था. जानकारी के अनुसार हिंसाग्रस्त सूडान में फंसे अब तक 1954 लोग स्वदेश लौट चुके हैं.
#WATCH| Karnataka: Second flight with 229 passengers from Sudan reached Kempegowda International Airport in Bengaluru, as part of #OperationKaveri pic.twitter.com/UMBNNLYJ3M
— ANI (@ANI) April 30, 2023
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है कि रविवार को ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत 229 यात्रियों को एक और उड़ान से बेंगलुरु लाया गया है. शुक्रवार को भी निकासी अभियान के तहत 754 लोग दो समूहों में भारत पहुंचे थे.आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सूडान से अब तक 1,954 लोग भारत आ गए हैं. ऑपरेशन कावेरी’ के तहत भारतीय शरणार्थियों को सऊदी अरब के जेद्दा शहर से दिल्ली लाया जा रहा है.
बता दें, महज कुछ दिन पहले ही सूडान की सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच जंग शुरू हुई है. ये पूरा संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच जारी है जो पहले साथ ही थे.
इस पूरे संघर्ष की जड़ें साल 2019 के अप्रैल महीने से जुड़ी हुई हैं जब सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ देश की जनता विद्रोह पर उतर आई थी. लेकिन बाद में अल-बशीर की सत्ता को सेना ने उखाड़ दिया था. बशीर सत्ता से बेदखल जरूर हो गए लेकिन इसके बाद भी सूडान में विद्रोह की आग नहीं थमी. सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच बाद में समझौता हुआ जिसके तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और फैसला लिया गया कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे.
इसी साल अबदल्ला हमडोक सूडान के प्रधानमंत्री बनें लेकिन इससे भी बात नहीं बनी और अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया. तख्तापलट होने के बाद जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए.
पहले से ही दोनों जनरल कभी साथ नहीं थे लेकिन वर्तमान समय में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ नज़र आ रहे हैं. इसका कारण दोनों के बीच हुआ मनमुटाव है क्योंकि दोनों के बीच सूडान में चुनाव करवाने के लिए एकराय नहीं बन पाई. कहा तो ये भी जा रहा है कि सेना ने एक प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव के तहत RSF के करीब 10 हजार जवानों को सेना में शामिल करने की बात कही गई थी लेकिन बात यहां अटक गई कि पैरामिलिट्री फोर्स बनाने के बाद इसका प्रमुख कौन बनेगा. इसी बात को लेकर सूडान के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फाॅर्स की तैनाती बढ़ गई है जिससे सेना को उकसावा मिला और देश में संघर्ष की शुरुआत हुई.
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