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Baisakhi 2023: इस दिन जरूर खाना चाहिए सत्तू, जाने इस पर्व का महत्व

नई दिल्ली: इस वर्ष बैसाख का त्यौहार 14 अप्रैल को मनाया जायेगा। इस त्योहार का अर्थ है वैशाख माह का नया आगमन। यह त्योहार भारत के कई हिस्सों में अलग- अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे कि पंजाब में इसे बैसाखी, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बैशाख, बंगाल में पोहेला बैसाख, असम में बिहू […]

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Baisakhi 2023: इस दिन जरूर खाना चाहिए सत्तू, जाने इस पर्व का महत्व
  • April 13, 2023 1:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: इस वर्ष बैसाख का त्यौहार 14 अप्रैल को मनाया जायेगा। इस त्योहार का अर्थ है वैशाख माह का नया आगमन। यह त्योहार भारत के कई हिस्सों में अलग- अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे कि पंजाब में इसे बैसाखी, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बैशाख, बंगाल में पोहेला बैसाख, असम में बिहू आदि नामों से जाना जाता है।यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन सिख समुदाय भी अपने पहले परमप्रभु गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्म दिवस को मनाते हैं।

बैसाखी को मेष संक्रांति भी कहते है

बैसाखी का त्योहार सिख समुदाय के लिए बहुत ही अहम होता है, इस दिन को सिख समुदाय का नववर्ष भी माना जाता है। वहीं हिंदी पचांग के हिसाब से इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस दिन को मेष संक्रांति भी कहते है जो इसे हिन्दुओं के लिए भी महत्वपूर्ण बना देता है। इस दिन सिख समुदाय के संस्कार और मूल्यों को याद रखा जाता है। इस दिन सिख धर्म के गुरु श्री गोबिंद सिंह जी ने पंज प्यारे का गठन किया था।

बैसाख के दिन सत्तू खाना क्यों है जरुरी ?

ज्योतिषों के अनुसार बैसाख के दिन से गर्मी और बढ़ने लगती है जिसके चलते लोग ऐसी चीजे खाते और दान करते है जो आपके शरीर को शीतलता प्रदान करती है। यही वजह है कि इस दिन उत्तर-प्रदेश व बिहार के साथ-साथ कई क्षेत्रों के लोगों ने चने के सत्तू का उपयोग को परम्परा बना दिया गया है। वहीं ज्योतिषों का मानना है कि मेष संक्रांति या बैसाख के दिन सत्तू खाना या उसका दान करने से आपको भगवान सूर्य की कृपा का लाभ मिल सकता है।

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