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सोनिया गांधी पर किरेन रिजिजू का पलटवार, कांग्रेस नेता पर कसा तंज

नई दिल्ली: मंगलवार (11 अप्रैल) को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सोनिया गांधी पर बड़ा बयान दिया। आपको बता दें, किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की टिप्पणियों को एक भ्रामक बयान बताया। आपको बता दें, सोनिया गांधी ने बीते दिनों लोकतंत्र और संस्थागत स्वतंत्रता पर बयान दिया था। अब सोनिया के इसी […]

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सोनिया गांधी पर किरेन रिजिजू का पलटवार, कांग्रेस नेता पर कसा तंज
  • April 11, 2023 5:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: मंगलवार (11 अप्रैल) को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सोनिया गांधी पर बड़ा बयान दिया। आपको बता दें, किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की टिप्पणियों को एक भ्रामक बयान बताया। आपको बता दें, सोनिया गांधी ने बीते दिनों लोकतंत्र और संस्थागत स्वतंत्रता पर बयान दिया था। अब सोनिया के इसी बयान पर कांग्रेस नेता ने तीखा पलटवार किया है।

 

क्या बोले किरेन रिजिजू ?

आपको बता दें, रिजिजू ने कहा कि “क्या सोनिया गांधी लोकतंत्र पर व्याख्यान दे रही हैं? न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कांग्रेस पार्टी की घोषणा भ्रामक है।” सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर पूरी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। सोनिया गांधी ने एक अखबार के लेख में लिखा कि उनकी पार्टी इस संदेश को सीधे लोगों तक ले जाएगी और संविधान की रक्षा के लिए सभी समान विचारधारा वाले दलों को शामिल करेगी। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर नफरत और हिंसा का माहौल बनाने, जांच एजेंसियों को गाली देने, मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने और कार्यपालिका और न्यायपालिका को व्यवस्थित रूप से अव्यवस्थित करने का आरोप लगाया।

 

 

➨ किरेन रिजिजू ने जवाब दिया

किरण रिजिजू ने सोनिया गांधी के इस आरोप पर कि भारतीय लोकतंत्र 1975 में सिर्फ एक बार मरा और उसके बाद ऐसा फिर कभी नहीं हुआ और न ही दोबारा होगा। हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं। देश में लोकतंत्र की भावना जिंदा है। सभी चुनी हुई सरकार से सवाल पूछें, लेकिन अपने देश से सवाल न करें।

 

➨ सोनिया गांधी का मोदी पर निशाना

खबर के मुताबिक, सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि PM भाजपा और RSS के नेताओं द्वारा भड़काई गई नफरत और हिंसा को नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने एक बार भी शांति या सद्भाव के लिए नहीं कहा। ऐसा लगता है कि धार्मिक त्यौहार महज़ दूसरों को डराने और धमकाने के अवसर बन गए हैं, जबकि पहले त्यौहार आनंद और उत्सव के अवसर हुए करते थे। प्रधान मंत्री के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, देश के लोगों को चुप नहीं किया जा सकता है और न ही ऐसा कभी होगा।

 

 

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