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पंचायत चुनाव: मोदी, राजनाथ और कलराज के क्षेत्र में मुरझाया कमल

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत व ब्लॉक पंयाचत चुनावों में बीजेपी को पूरे राज्य में करारी हार का सामना करना पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस, राजनाथ सिंह के लखनऊ और कलराज मिश्रा के देवरिया इलाके में पार्टी सिंगल डिजिट में सिमट गई.

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  • November 2, 2015 2:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत व ब्लॉक पंयाचत चुनावों में बीजेपी को पूरे राज्य में करारी हार का सामना करना पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस, राजनाथ सिंह के लखनऊ और कलराज मिश्रा के देवरिया इलाके में पार्टी सिंगल डिजिट में सिमट गई. मोदी द्वारा गोद लिए गए जयापुर गांव में भी बीजेपी हार गई है.
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में बीजेपी 48 सीटों में मात्र 8 सीट जीत पाई. मोदी ने बनारस के जिस जयापुर गांव को गोद लिया था उस गांव की ब्लॉक पंचायत सीट से भी बीजेपी समर्थित उम्मीदवार की हार हो गई है. यहां बीजेपी के अरुण सिंह को बीएसपी के रमेश तिवारी ने हराया है.
 
गृहमंत्री राजनाथ सिंह के लखनऊ में 28 सीटों में महज 4 सीट बीजेपी निकाल पाई. इसी तरह केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा की देवरिया सीट वाले इलाके में बीजेपी 56 में सिर्फ 7 सीट सीत पाई.
 
रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
 
पंचायत चुनाव के नतीजों ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से निराश चल रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी को जोश से भर दिया है क्योंकि दोनों पार्टियों ने कई जिलों में जीत दर्ज की है.
 
पंचायत चुनाव के इन नतीजों में कांग्रेस की हालत और पतली है जिसे अमेठी और रायबरेली में भी सपा-बसपा ने शिकस्त दे दी है. सोनिया गांधी के रायबरेली में कांग्रेस के 22 में 21 कैंडिडेट हार गए हैं. राहुल गांधी के अमेठी में 8 सीटों में कोई भी सीट कांग्रेसी नहीं जीत पाए.
 
चुनाव नतीजे से सपा-बसपा के कार्यकर्ता जोश में
 
2017 में यूपी विधानसभा का चुनाव है और ऐसे में सपा और बसपा के लिए ये जीत पार्टी के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करेगी. बीजेपी और कांग्रेस के लिए ये हार एक सबक है जिसे ध्यान में रखकर ये दोनों पार्टियां अब 2017 की रणनीति बनाएंगी.
 
पंचायत चुनाव में पार्टी के सिंबल पर चुनाव नहीं होता है लेकिन आम तौर पर सारी पार्टियां अपने नेताओं को चुनाव लड़ाती है और उन्हें औपचारिक तौर पर अपना समर्थन भी देती हैं.

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