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अतीक अहमद: दोष सिद्ध होने पर मिल सकती है फांसी की सज़ा, दर्ज हैं 102 केस

लखनऊ। उमेश पाल के अपहरण कांड में अतीक अहमद समेत अन्य 11 आरोपियों के खिलाफ 2007 में ही एफआईआर दर्ज करा दी गयी थी, जिसकी सुनवाई हाल ही में 23 मार्च को पूरी हुई है। बताया जा रहा है कि अतीक अहमद और उसके साथियों पर लगाए गए आरोपों पर IPC की धाराएं शामिल हैं। […]

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अतीक अहमद: दोष सिद्ध होने पर मिल सकती है फांसी की सज़ा, दर्ज हैं 102 केस
  • March 27, 2023 3:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ। उमेश पाल के अपहरण कांड में अतीक अहमद समेत अन्य 11 आरोपियों के खिलाफ 2007 में ही एफआईआर दर्ज करा दी गयी थी, जिसकी सुनवाई हाल ही में 23 मार्च को पूरी हुई है। बताया जा रहा है कि अतीक अहमद और उसके साथियों पर लगाए गए आरोपों पर IPC की धाराएं शामिल हैं। 28 मार्च को इसका फैसला आना है, फैसले के बाद पता चल जाएगा कि अतीक अहमद को कौन सी सज़ा मिलेगी।

आजीवन कारावास या फांसी?

वकील अमित कुमार सिंह ने कहा है कि यदि यह सिद्ध हो जाता है कि अपराध एक सोची-समझी साज़िश के तहत हुआ है तो अतीक के साथ-साथ अन्य आरोपी भी उस सज़ा के हक़दार होंगे जो सज़ा अतीक के लिए निर्धारित होगी। भारतीय संविधान के IPC की धारा के अनुसार अपहरण के अपराध में आजीवन कारावास के अलावा मृत्युदंड की भी सजा हो सकती है।

भारतीय दंड संहिता की 364 ए है सबसे बड़ी धारा

हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील अरुण कुमार मिश्रा का कहना है कि उमेश पाल के अपहरण कांड में कई धाराएं लगी हैं, जिसमें से 364 ए धारा को सबसे बड़ा बताया जा रहा है, जिसके चलते अतीक को आजीवन कारावास या फांसी तक की सज़ा भी हो सकती है। इसके अलावा जो अन्य धाराएं लगाई गयी हैं, वह कुछ इस प्रकार है – 34, 120बी, 147, 148, 149, 323, 341, 342, 364, 504, 506 इत्यादि है।

जानिए पूरा मामला

यह मामला 2006 का है जब राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल का अपहरण हुआ था। उमेश ने 2007 में बसपा सरकार के आने के बाद अतीक अहमद और उसके कुल 11 साथियों के खिलाफ प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई। इस मामले की सुनवाई वर्ष 2023, 23 मार्च को जाकर पूरी हुई है और माना जा रहा है कि 28 मार्च तक इस पर फैसला भी सुना दिया जायेगा।

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