सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में पिता की संपत्ति में बेटियों के बराबर के अधिकार को सीमित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पिता की मौत 9 सितंबर 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संसोधन से पहले हुई तो बेटियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार नहीं मिलेगा.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में पिता की संपत्ति में बेटियों के बराबर के अधिकार को सीमित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पिता की मौत 9 सितंबर 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संसोधन से पहले हुई तो बेटियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार नहीं मिलेगा.
कोर्ट ने कहा कि बेटी को संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी तभी मिलेगी जब पिता 9 सितंबर 2005 को जीवित हो. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि 20 दिसंबर 2004 से पहले हो चुके संपत्ति बंटवारों पर यह कानून लागू नहीं होगा फिर चाहे इसमें बेटी को हिस्सा मिला हो ना न मिला हो.
बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में बेटी के लिए पिता की संपत्ति में किसी तरह के कानूनी अधिकार की बात नहीं कही गई है. जबकि संयुक्त हिंदू परिवार होने की स्थिति में बेटी को जीविका की मांग करने का अधिकार दिया गया था. 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने इसमें संशोधन कर बेटे और बेटी को बराबर अधिकार दिया था.