पाकिस्तान समेत इन देशों से पीछे है भारत, वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 की जारी हुई है जिसमें फिनलैंड ने लगातार 6वीं बार विश्व का सबसे खुशहाल देश का दर्जा हासिल किया है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने बीते सोमवार को जारी की जिसमें फिनलैंड पहले नंबर पर रहा. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में 137 […]

Advertisement
पाकिस्तान समेत इन देशों से पीछे है भारत, वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

Vivek Kumar Roy

  • March 22, 2023 5:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 की जारी हुई है जिसमें फिनलैंड ने लगातार 6वीं बार विश्व का सबसे खुशहाल देश का दर्जा हासिल किया है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने बीते सोमवार को जारी की जिसमें फिनलैंड पहले नंबर पर रहा. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में 137 देशों की लिस्ट जारी कि जिसमें उन देशों की आय, स्वास्थ्य और जीवन के प्रमुख निर्णय लेने की स्वतंत्रता की भावना सहित कई मानदंडों को ध्यान में रखकर रैंक जारी की. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत 137 देशों में 125वें नंबर पर है. 125वें नंबर पर रहना भारत के लिए चिंताजनक है.

भारत के रैंक में हुआ सुधार

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट कि रिपोर्ट में भारत की स्थिति पिछली बार की तुलना में इस बार अच्छी है. पिछले साल भारत की रैकिंग 136 थी वहीं 2023 में भारत 127वें स्थान पर है. भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति भारत से बेहतर है. भारत अभी भी चीन, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे है.

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है लेकिन अभी भी वह 124 देशों से पिछड़ा हुआ है ये चिंता का विषय है. एक साल से अधिक रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है लेकिन इन दोनों देशों की स्थिति भारत से अच्छी है. पाकिस्तान और मिस्र आर्थिक संकट से जूझ रहे है लेकिन ये भारत से खुशहाल है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भारत इन देशों से कैसे पीछे है.

6 मानकों पर तय होती है रिपोर्ट

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट तैयार करने में संयुक्त राष्ट्र 6 कारकों का इस्तेमाल करती है. इसमें स्वस्थ जीवन की अनुमानित उम्र, आय, सामाजिक सहयोग, विश्वास, उदारता और स्वतंत्रता का ध्यान शामिल है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी से पश्चिमी यूरोपीय देशों में एक लाख लोगों पर 80 लोगों की मौत हुई थी वहीं नार्डिक देशों में सिर्फ 27.

Advertisement