चंडीगढ़: पुलिस वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह की तलाश में जुटी है। इसके साथ ही पुलिस ने अमृतपाल के कपड़े और कुछ हथियार भी बरामद किए। इसके अलावा जिन 4 लोगों ने अमृतपाल की भागने में मदद की थी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस को शक […]
चंडीगढ़: पुलिस वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह की तलाश में जुटी है। इसके साथ ही पुलिस ने अमृतपाल के कपड़े और कुछ हथियार भी बरामद किए। इसके अलावा जिन 4 लोगों ने अमृतपाल की भागने में मदद की थी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस को शक है कि हुलिया बदलने के बाद अमृतपाल पंजाब से फरार हो गया है। अमृतपाल को पकड़ने के लिए खुफिया एजेंसियां की लगातार छापेमारी जारी है। इसी बीच जानकारी आई है कि अमृतपाल को आखिरी बार जिस ब्रेजा कार में देखा गया था, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है। वहीं अब पुलिस लोगों से भी सहयोग की अपील कर रही है। अमृतपाल सिंह की पहचान के लिए पंजाब पुलिस ने अमृतपाल की अलग-अलग हुलिए वाली 7 तस्वीरें जारी की। ताकी अगर वो हुलिया बदलकर भागने की कोशिश कर रहा हो तो भी उसे आसानी से पहचाना जा सके।
पुलिस को चकमा देने के लिए अमृतपाल बार-बार गाड़ियां बदल कर भाग रहा है। वहीं पुलिस ने उसकी उन दोनों गाड़ियों को जब्त कर लिया है, जिसमें बैठकर वो फरार हुआ था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान मनप्रीत सिंह, गुरदीप सिंह, हरप्रीत सिंह और गुरपेश सिंह नाम से हुई है। इनके खिलाफ आर्म्स एक्ट का मामला और पुलिस कस्टडी से आरोपी को भगाने का मामला दर्ज़ किया गया।
इससे पहले अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस दर्ज किया है। बता दें कि, अमृतपाल सिंह अभी भी फरार है, पंजाब पुलिस उसे पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। पुलिस ने उसे पहले से ही भगोड़ा घोषित किया हुआ है।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून या नेशनल सिक्योरिटी एक्ट मुख्यता केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष शक्ति प्रदान करता है। जिसके तहत सरकार किसी संदिग्ध नागरिक या विशेष परिस्थितियों में विदेशी नागरिक को भी गिरफ्तार कर सकती है। इस एक्ट के तहत यदि सरकार को यह लगता है कि कोई व्यक्ति देश में कानून व्यवस्था को खराब कर सकता है, तो उसको गिरफ्तार करने के आदेश दिए जाते है। यह एक्ट 1980 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में बना था। इस एक्ट के तहत गिरफ्तारी पहले तीन माह के लिए की जाती और बाद में जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
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