मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक यौन उत्पीड़न मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति बिना किसी गलत इरादे के किसी कम उम्र की लड़की की पीठ और सिर को सहलाता है और कहता है कि “वह बड़ी हो गई है,” तो यह यौन उत्पीड़न के दायरे में […]
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक यौन उत्पीड़न मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति बिना किसी गलत इरादे के किसी कम उम्र की लड़की की पीठ और सिर को सहलाता है और कहता है कि “वह बड़ी हो गई है,” तो यह यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आएगा। कहा जा रहा है कि, अदालत ने मयूर येलोर नाम के एक प्रतिवादी को बरी कर दिया। हाई कोर्ट में जज भारती डांगरे के सिंगल जज पैनल ने फैसले में कहा कि लड़की का यौन शोषण किया गया था, यही वजह है कि वकील ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे पता चले कि आरोपी की ऐसी मंशा थी।
आपको बता दें, बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक ये केस 11 साल पुराना था। उस वक़्त आरोपी की उम्र 18 साल और पीड़िता की उम्र 12 साल थी। इसी अवधि में, आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था। शिकायत के अनुसार 15 मार्च 2012 को पीड़िता अकेली थी। इसी दौरान आरोपी उसके घर कुछ दस्तावेज देने गया था। घर में घुसकर उसने लड़की से पानी लाने को कहा और पास ही कुर्सी पर बैठ गया। लड़की ने उसे थोड़ा पानी दिया और अपना होमवर्क करने लगी। थोड़ी देर बाद, आरोपी अपनी कुर्सी से उठा और उसके पास गया, उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरा और उसे बताया कि वह बड़ी हो गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, शिकायत में कहा गया है कि नाबालिग उस दौरान मदद के लिए चिल्लाई थी। मोहल्ले के लोग उसके घर पहुँचे तो आरोपित को पकड़ लिया गया। फोन से लड़की की माँ को बुलाया गया। उसकी माँ के आने के बाद उसे जाने दिया गया, क्योंकि उसने उसे पहचान लिया था। इसके बाद, लड़की की माँ उसे चेतावनी देने के लिए उसके घर गई, लेकिन आरोपी ने उसे धमकी दी। इसके बाद माँ ने बच्चे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। जब मामले की सुनवाई हुई, तो प्रथम दृष्टया की अदालत ने उन्हें दोषी पाया और उन्हें 6 महीने की सजा सुनाई। सत्र न्यायालय ने भी इसकी पुष्टि की थी। आरोपी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को इस मामले में फैसला सुनाया था। लेकिन सजा की कॉपी 13 मार्च को सामने आई। जज भारती डांगरे ने सजा को पलटते हुए कहा कि ऐसा नहीं लगता कि आरोपी की कोई बुरी नीयत थी, वास्तव में ऐसा लगता है कि उसने उसे केवल एक बच्चे के रूप में देखा था।