नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का बचाव करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भारत के विकास की रफ्तार तेज करने का प्रयास कर रही है, लेकिन ऐसे कई हैं जिन्होंने बीजेपी के सत्ता में होने का विचार बौद्धिक रूप से कभी स्वीकार नहीं किया. इसमें जाहिर तौर पर कांग्रेस, कई वामपंथी विचारक और कार्यकर्ता हैं. कई दशकों से उन्होंने बीजेपी के प्रति वैचारिक असहिष्णुता अपनाई हुई है.’
कांग्रेस और वामदलों पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि साल 2002 से ‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मादी) खुद इस वैचारिक असहिष्णुता के सबसे ज्यादा पीड़ित रहे हैं. इनका दो ही एजेंडा है. पहला, संसद बाधित करो और ऐसे सुधार मत होने दो जिसका श्रेय मोदी सरकार को जाए. दूसरा, ढांचागत और संगठित दुष्प्रचार से ऐसा माहौल पैदा करो, जिससे लगे कि भारत में सामाजिक दरार है. वे भारत को असहिष्णु समाज के तौर पर पेश करना चाहते हैं.’
लेखकों के लगातार पुरस्कार लौटाने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने लेखकों की मंशा पर सवाल उठाएं हैं. उन्होंने कहा है कि ये सरकार के खिलाफ एक सोची-समझी बगावत है. ये सचमुच का विरोध है या फिर गढ़ा हुआ विरोध है.