नई दिल्ली: Facebook, Instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पैरेंट कंपनी Meta इस समय अपने नए प्रोडक्ट को लेकर मार्किट में चर्चा में बनी हुई है. इस प्रोडक्ट को लेकर यूं तो बहुत कम जानकारियां सामने आई हैं लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि ये कुछ-कुछ ट्विटर जैसा हो सकता है. एलन मस्क की […]
नई दिल्ली: Facebook, Instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पैरेंट कंपनी Meta इस समय अपने नए प्रोडक्ट को लेकर मार्किट में चर्चा में बनी हुई है. इस प्रोडक्ट को लेकर यूं तो बहुत कम जानकारियां सामने आई हैं लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि ये कुछ-कुछ ट्विटर जैसा हो सकता है. एलन मस्क की एंट्री के बाद ट्विटर को लेकर अब लोगों के बीच संदेह है. इसी संदेह का फायदा अन्य टेक कंपनियां उठाना चाहती हैं.
इसी कड़ी में अब Facebook की पैरेंट कंपनी Meta की एंट्री हो चुकी है. मेटा एक नया ऐप तैयार कर रहा है जहां यूज़र्स टेक्स्ट बेस्ड अपडेट्स पोस्ट कर सकेंगे. जानकारी के अनुसार यह सोशल मीडिया ऐप इस समय अपने शुरूआती अपडेट में है. Platformer को दी गई एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार मेटा ने बताया कि ‘हम टेक्स्ट अपडेट्स शेयर करने के लिए एक स्टैंडअलोन डिसेंट्रलाइज्ड सोशल नेटवर्क तैयार कर रहे हैं.’ आगे कंपनी ने बताया कि ‘हमें लगता है कि आज सोशल मीडिया में एक स्पेस मौजूद है, जहां क्रिएटर्स और पब्लिक फिगर्स अपना इंटरेस्ट समय-समय पर शेयर कर सकते हैं.’ बता दें, पिछले कुछ समय से मेटा के इस ऐप के बारे में जानकारी सामने आ रही थीं.
खबरें हैं कि इस ऐप में यूज़र्स Instagram क्रेडेंशियल्स की मदद से लॉगिन कर सकेंगे. फिलहाल कंपनी ने खुद अपने इस प्रोडक्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है क्योंकि इस समय मेटा का ये प्रोडक्ट अपने शुरूआती दौर में है. रिपोर्ट्स के अनुसार अभी कोई भी टाइमफ्रेम तैयार नहीं किया गया है. लेकिन लीगल और रेगुलेटरी टीम्स ने काम की शुरुआत कर दी है. इंस्टाग्राम के प्रमुख Adam Mosseri इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं.
Meta के इस प्रोजेक्ट को लेकर दिलचस्प बात ये है कि कंपनी इसका नेटवर्क डिसेंट्रलाइज्ड रखेगी. मेटा का ये कदम उसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के साथ मुकाबला करने में मदद तो करेगा लेकिन इसके साथ ही मुश्किलें भी सामने आएंगी. क्योंकि पहले भी डिसेंट्रलाइज्ड ऐप्स को लेकर मांग उठ चुकी है. पर डिसेंट्रलाइज्ड होने का मतलब है कि उसका डेटा किसी एक जगह या सर्वर पर स्टोर नहीं होगा. इसके कई केंद्र हो सकते हैं इसे कोई भी संस्था या एजेंसी कंट्रोल नहीं करती है. कहा जा रहा है कि इसका डिज़ाइन काफी हद तक ट्विटर जैसा होगा. लेकिन मेटा के आगे चुनौती होगी कि ट्विटर की समृद्ध मार्केट को वह अपने पक्ष में कैसे कर पाए.