नई दिल्ली: टेलीकॉम यूज़र्स के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही आपको कॉल ड्रॉप की समस्या से निजात मिल जाएगी। दरअसल लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए सरकार ने इस दिशा में अहम कदम उठाने का फैसला किया है। ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों को छोटे टावर लगाने के लिए सरकार से मंजूरी लेने की […]
नई दिल्ली: टेलीकॉम यूज़र्स के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही आपको कॉल ड्रॉप की समस्या से निजात मिल जाएगी। दरअसल लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए सरकार ने इस दिशा में अहम कदम उठाने का फैसला किया है। ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों को छोटे टावर लगाने के लिए सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। इससे छोटे टावर लगाने में तेजी आएगी। साथ ही गाइडलाइंस में बदलाव किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दें, कॉल ड्रॉप उस समस्या का नाम है जब आपका फोन किसी भी कारण से सेलुलर नेटवर्क से डिस्कनेक्ट हो जाता है, आपकी कॉल ड्रॉप हो जाती है या आपकी आवाज कट जाती है। यह आमतौर पर खराब सिग्नल क्वालिटी के कारण होता है। आसान शब्दों में समझें तो कई बार आपके फोन से अचानक नेटवर्क गायब हो जाता है या आपकी कॉल कट जाती है। इसे कॉलड्रॉप कहा जाता है, इस परेशानी को दूर करने के लिए कि सरकार ने छोटे टावरों को लगाने को लेकर अहम फैसला लिया है। ऐसे में जो छोटे टावरों को लगाने के लिए सरकारी मंजूरी चाहिए होती थी… सरकार ने उसे हटाने का फैसला किया है। कॉलड्रॉप को कम करने के साथ ही 5G सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए गाइडलाइंस में बदलाव की तैयारी कर रहा है।
➨ कॉल ड्रॉप कम होंगे।
➨ छोटे टावर लगाने के लिए अप्रूवल की जरूरत नहीं होती है।
➨ 600W तक BTS लगाने के लिए किसी अप्रूवल की जरूरत नहीं है।
➨ कम्पनियाँ ट्रैफिक लाइट, लैम्पपोस्ट या अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर छोटे टावर लगा सकती हैं।
➨ 5G सेवाओं को तेजी से लागू करना संभव होगा।
➨ टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI ने भी इसकी सिफारिश की है।
➨ सरकार जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी कर सकती है।
➨ टावरों की असेंबली के लिए कंपनियों को सिर्फ सेल्फ सर्टिफिकेशन जारी करना होगा।