पटना: कहते है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. अगर मन में चाहत हो तो इंसान कभी भी कुछ कर सकता है. बिहार के नालंदा जिले में सास और 4 बहुओं ने कुछ ऐसा ही किया है. बीते रविवार को मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत आदर्श चंडी मध्य विद्यालय में नव साक्षर […]
पटना: कहते है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. अगर मन में चाहत हो तो इंसान कभी भी कुछ कर सकता है. बिहार के नालंदा जिले में सास और 4 बहुओं ने कुछ ऐसा ही किया है. बीते रविवार को मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत आदर्श चंडी मध्य विद्यालय में नव साक्षर महिलाओं की बुनियादी महापरीक्षा का आयोजन कराया गया था. इस महापरीक्षा में 9 हजार से अधिक महिलाएं शामिल हुई. इस महापरीक्षा में चार बहुओं के साथ सास ने भी परीक्षा दी।
इस महापरीक्षा का उद्देश्य है कि महिलाएं अपना नाम, पता, पढ़ना-लिखना, जोड़-घटाव ठीक से समझ सकें. सास सिवारती देवी और उनकी चारों बहुएं पढ़ना-लिखना बिल्कुल नहीं जानती थीं लेकिन इन्हें पढ़ाई करने की चाहत थी. खुद ही उन्होंने यह फैसला लिया. चारों बहुएं सीमा देवी, वीणा देवी, बिंदी देवी, शोभा देवी ने बच्चा होने के बाद भी पढ़ना-लिखना वाजिब समझा. फिर पढ़ाई करने के लिए घर के सदस्यों का भी साथ मिला. केवल छह महीने में ही पढ़ना और लिखना सीख लिया. इसके बाद साक्षरता परीक्षा में चारों बहुओं के साथ-साथ सास भी शामिल हुई.
सास ने बताया कि उनकी बहुओं को पढ़ना-लिखना बिल्कुल नहीं आता था, लेकिन उनके बच्चे अनपढ़ ना रहे इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया. ताकि लिखना-पढ़ना जान सकें और वे अपने बच्चों को कुछ शिक्षा दे सकें. आपको बता दें कि साक्षरता परीक्षा में शामिल सबसे ज्यादा दलित, महादलित, अति पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल होते हैं. साक्षरता परीक्षा में 45 साल तक की महिलाएं शामिल होती हैं. यह सरकार की एक गणमान्य योजना है. महिलाओं को अक्षर ज्ञान, हिंदी पढ़ने-लिखने के अलावा गणित के छोटे-छोटे हिसाब जोड़ने और घटाने का ज्ञान दिया जाता है।
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