हाथरस: उत्तर प्रदेश में हुए हाथरस कथित गैंगरेप कांड को लेकर अब विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर होता दिख रहा है. कांग्रेस ने अब कोर्ट के फैसले को सरकार की नीतियों और प्रशासन की कार्रवाई से जोड़कर कई सवाल उठाए हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस ने हाथरस के दुष्कर्म-हत्या मामले में तीन आरोपियों के बरी […]
हाथरस: उत्तर प्रदेश में हुए हाथरस कथित गैंगरेप कांड को लेकर अब विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर होता दिख रहा है. कांग्रेस ने अब कोर्ट के फैसले को सरकार की नीतियों और प्रशासन की कार्रवाई से जोड़कर कई सवाल उठाए हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस ने हाथरस के दुष्कर्म-हत्या मामले में तीन आरोपियों के बरी होने को लेकर भाजपा पर कई आरोप लगाए हैं.
कांग्रेस नेता डॉली सिंह ने कोर्ट के फैसले को लेकर कहा है कि कोर्ट का यह फैसला उत्तर प्रदेश पुलिस और बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की गई लचर जांच को उजागर कर रहा है. एक बृहस्पतिवार को विशेष अदालत ने हाथरस में वर्ष 2020 में एक युवती के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में मुख्य आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था.
कांग्रेस कार्यकर्ता डॉली सिंह का एक वीडियो कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है. इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है, ‘हाथरस कांड में यूपी सरकार और पुलिस प्रशासन का रवैया सबने देखा है। सबूतों को छिपाना, CBI की चार्जशीट में गैंगरेप-मर्डर कहना और अधूरे सबूतों को कोर्ट में पेश करना.. ये BJP की कथनी-करनी को दिखाता है। बात बेटी बचाने की करते हैं लेकिन ये बलात्कारी बचाते हैं।’ वीडियो में डॉली सिंह कई सवाल उठा रही हैं. जहां वह कहती हैं, ‘‘भाजपा ने दलित समुदाय की नाबालिग लड़की को न्याय से वंचित करने का अपराध किया है, जो सबका साथ देने का नारा देती रहती है.’’
बता दें, हाथरस गैंगरेप मामले में तीन आरोपियों लव-कुश, रामू और रवि को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इस मामले में केवल एक ही आरोपी संदीप को कोर्ट ने 3/110 और 304 का दोषी माना है. उसे उम्रकैद और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई है. पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट रूख करने का फैसला लिया है. बता दें, इस मामले की जांच CBI कर रही थी.
पीड़िता ने इलाज के दौरान बताया था कि चार युवकों संदीप, रामू, लवकुश और रवि ने उसका रेप किया था. इस आधार पर पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस पर भी जांच के दौरान इस मामले में तमाम तरह के सवाल खड़े हुए थे. आरोप लगाया जा रहा था कि पुलिस ने परिवार को बताए बिना ही पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया था. ऐसे में यूपी पुलिस पर भी कई गंभीर आरोप लगे.
दूसरी ओर पुलिस ने पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि उसके साथ गैंगरेप नहीं हुआ है उसके साथ केवल रेप हुआ है. यूपी पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने भी खूब फटकार लगाई थी. इसके बाद योगी सरकार ने मामले की जांच करने के लिए SIT का गठन किया था. हालांकि, इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुआ और इस मामले में योगी सरकार से CBI जांच की शिफारिश भी की गई थी.
जिसके बाद सीबीआई ने जांच संभाली थी.मामले की जांच के दौरान CBI ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ भी की थी. आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग किया गया था और फिर CBI ने कोर्ट में अपनी जांच की चार्जशीट दाखिल की थी. 22 सितंबर को पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी और निर्णय कोर्ट के ऊपर छोड़ दिया था.