नई दिल्ली. दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किये गये डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके पद छोड़ने का ऐलान सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद किया गया. सतेंद्र जैन ने भी पद छोड़ा उनके साथ ही सतेंद्र जैन ने भी मंत्री पद छोड़ […]
नई दिल्ली. दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किये गये डिप्टी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके पद छोड़ने का ऐलान सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के बाद किया गया.
उनके साथ ही सतेंद्र जैन ने भी मंत्री पद छोड़ दिया है.उनके पास 6 मंत्रालय थे जो 30 मई 2022 को मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया के पास थे.
श्री सिसोदिया इस समय 18 मंत्रालय/विभाग संभाल रहे थे और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बहुत खास हैं. जिन विभागों को वह देख रहे थे उनमें वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, कला-संस्कृति, योजना, भूमि व भवन, सेवाएं, भाषा, जागरूकता, श्रम और रोजगार शामिल है.
लोक निर्माण विभाग के अलावा वह उद्योग, शहरी विकास, बिजली, गृह, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण व जल विभाग भी देख रहे थे. अब इन विभागों को कैलाश गहलोत और राजकुमार आनंद को दे दिये गये हैं.
मनीष सिसोदिया के पद छोड़ने के बाद दो सवाल अहम हैं, पहला यह कि अगला निशाना किस पर, यदि आप के आरोपों की ही बात करें तो राजनीतिक साजिश के तहत ये सब किया गया है. आप के बढ़ते प्रभाव से भाजपा घबरा गई है और तरह तहर के हथकंडे अपना रही है. क्या सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी शिकंजा कसने की कोशिश होगी.
बेशक अरविंद केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं है इसलिए सीधे उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती लेकिन सीबीआई पूछताछ से कोई कड़ी जोड़कर उनकी छवि धूमिल की जा सकती है. आप और दिल्ली सरकार के अगुआ अरविंद केजरीवाल ही हैं इसलिए लीडर को घेरने की कोशिश जरूर होगी.
दूसरा सवाल है कि मनीष सिसोदिया के बाद अगला उप मुख्यमंत्री कौन? किसी और को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा इसकी गुंजाइश कम है. वजह यह है कि मनीष सिसोदिया को सम्मान देने के लिए उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया था. शुरू में अरविंद केजरीवाल की योजना दूसरी थी, वह दिल्ली की कमान श्री सिसोदिया को सौंपकर खुद पूर्ण राज्य का सीएम बनना चाहते थे.
पंजाब जैसे राज्य में उसे सत्ता मिल भी गई लेकिन चुनाव जीतने के लिए भगवंत मान के नाम पर जिस तरह से रायशुमारी की गई उसके बाद ऐसा करना संभव नहीं था. पंजाब का मिजाज भी अलग है.
अरविंद केजरीवाल तुरंत ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जो मनीष सिसोदिया को खराब लगे. अपने दोस्त और मुख्यमंत्री की सलाह से ही वह अपने विभागों का संचालन कर रहे थे, आबकारी नीति बदलने का फैसला अकेले मनीष सिसोदिया का नहीं था इसलिए नैतिक जिम्मेदारी अरविंद केजरीवाल की भी है.
आप मुखिया ने दोनों मंत्रियों का इस्तीफा कराकर छवि बचाने की कोशिश की है अन्यथा ऐसा कोई नियम नहीं है कि एफआईआर या गिरफ्तारी के बाद मंत्री को इस्तीफा देना पड़े. सतेंद्र जैन पिछले नौ महीने से बिना विभाग के मंत्री थे, ऐसे ही महाराष्ट्र में भी जेल जाने के बाद मंत्रियों ने पद नहीं छोड़ा था.