हैदराबाद: जैसे-जैसे समय बीतता है वैसे-वैसे बुढ़ापा आने लगता है. समय के अनुसार बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी बच्चों पर आ जाती है, लेकिन आज हम एक ऐसी बुजुर्ग मां और एक बेटी की कहानी बताएंगे, जिसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे। तेलंगाना के पेद्दापल्ली जिले के रामागुंडम में वीरम्मा नाम की 95 […]
हैदराबाद: जैसे-जैसे समय बीतता है वैसे-वैसे बुढ़ापा आने लगता है. समय के अनुसार बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी बच्चों पर आ जाती है, लेकिन आज हम एक ऐसी बुजुर्ग मां और एक बेटी की कहानी बताएंगे, जिसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे।
तेलंगाना के पेद्दापल्ली जिले के रामागुंडम में वीरम्मा नाम की 95 साल की बुजुर्ग महिला हैं, जो सालों से एक पेड़ के नीचे अपनी जिंदगी बीता रही हैं. बुजुर्ग मां के साथ उनकी 76 वर्षीय बेटी राजम्मा भी पेड़ के नीचे रहती हैं, जो उनकी देखभाल करती हैं. उनके लिए केवल बुढ़ापा ही नहीं बल्कि गरीबी भी एक समस्या है.
बुजुर्ग महिला एक पेड़ के नीचे प्लास्टिक की चादरों से अपने लिए एक तंबू जैसा झोपड़ी बनाती हैं. तंबू वाली घर बनाने के लिए वह पहले प्लास्टिक को इकट्ठा करती हैं और फिर यही उन्हें चिलचिलाती धूप, भारी बारिश, भयंकर ठंड या भारी तूफान से बचाती है. 5 साल से दोनों ऐसे ही अपनी जिंदगी बिता रही हैं. हालांकि एक समय था जब उनके सिर के ऊपर सहारा था. वीरम्मा के दो बेटे और एक बेटी राजम्मा के साथ पहले पास के एक गांव में रहती थी. हालांकि, विरम्मा के पति की मृत्यु के बाद परिवार में गरीबी आ गई.
वीरम्मा के बेटों के पास कोई पक्का नौकरी नहीं है, लेकिन जीवन चलाने के लिए छोटे-बड़े काम के लिए गांव में भटकते रहते हैं. बेटे ने अपनी बुजुर्ग मां और बहन से मुंह मोड़ लिया. इसीलिए बुजुर्ग मां और बेटी अब सड़कों पर हैं. राज्य सरकार ने उन्हें अल्प पेंशन राशि और चावल प्रदान करती हैं, लेकिन उनके पास रहने के लिए सिर पर छत नहीं है. आसपास रहने वाले कई लोगों ने बुजुर्ग मां और बेटी के लिए सरकार से रहने की जगह की व्यवस्था करने की गुहार लगाई है.
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