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EC के बाद SC ने दिया ठाकरे को झटका, दफ्तर पर भी शिंदे का कब्ज़ा

मुंबई: आज का दिन भी ठाकरे गुट के लिए दोहरे झटके वाला रहा है. निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद पहले ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिन्ह मिल चुका है और अब दफ्तर पर भी शिंदे गुट ने अपना कब्जा जमा लिया है. इतना ही नही उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से […]

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EC के बाद SC ने दिया ठाकरे को झटका,  दफ्तर पर भी शिंदे का कब्ज़ा
  • February 20, 2023 4:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई: आज का दिन भी ठाकरे गुट के लिए दोहरे झटके वाला रहा है. निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद पहले ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिन्ह मिल चुका है और अब दफ्तर पर भी शिंदे गुट ने अपना कब्जा जमा लिया है. इतना ही नही उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है जहां कोर्ट ने आयोग के फैसले पर उद्धव ठाकरे की ओर से दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.तीर कमान और नाम काने के साथ-साथ दफ्तर का छिन जाना और फिर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उद्धव गुट के लिए समस्याओं का पहाड़ बन गया है.

विधानसभा स्पीकर से की थी मांग

दरअसल विधानसभा स्थित शिवसेना के दफ्तर को अब शिंदे गुट के हवाले कर दिया गया है. बीते दिनों शिंदे गुट के नेताओं ने विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर से इसकी मांग की थी। जिसके बाद विधानसभा स्पीकर ने यह फैसला लिया और शिवसेना के ऑफिस को शिंदे गुट के हवाले कर दिया गया.

क्या बोली शीर्ष अदालत?

दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने भी ठाकरे को झटका देते हुए उनकी उस याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए इनकार कर दिया है जिसमें EC के फैसले को चुनौती दी गई थी.जहां कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के वकील से कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई नही हो सकती. बेंच ने कहा कि आप कल एक बार फिर याचिका दायर करें जिसपर विचार किया जाएगा. बता दें, इस याचिका में निर्वाचन आयोग के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें शिवसेना का नाम और चिन्ह शिंदे गुट को सौंप दिया गया. अब आधिकारिक रूप से शिवसेना के नाम और तीर कमान पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट का अधिकार है.

 

गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के नाम और चिन्ह को शिंदे गुट को सौंपने का फैसला लिया है. ये फैसला शुक्रवार(17 फरवरी) को लिया गया था. इसके बाद से ही महाराष्ट्र की सियासत में हलचल देखी जा रही है. बता दें, नाम और चिन्ह पर हक़ को लेकर पिछले काफी समय से दोनों गुटों(उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे) के बीच तनातनी जारी थी. और आयोग के इस फैसले ने एक बार फिर सियासी हलचल को हवा दे दी है.

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